नई दिल्ली, ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टरों के एक दल का दावा है कि उनके सामने जुड़वां बच्चों का अनोखा केस आया है। इस मामले में एक एग और दो स्पर्म से बने जुड़वां यानी लड़का-लड़की मां के गर्भाशय में पले। ऐसे जुड़वा बच्चों में मां का डीएनए एक ही होता है, लेकिन पिता का डीएनए दोनों जुड़वों में बदला होता है. यह दुनिया का दूसरा ऐसा मामला है।
इन दोनों जुड़वा बच्चों में मां का डीएनए समान था जबकि पिता का डीएनए दोनों में अलग-अलग था। इन्हें सेमी-आइडेंटिकल ट्विन्स कहा जा रहा है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक स्टडी में इस तरह के मामले को असाधारण रूप से दुर्लभ कहा है। असल में, सभी जुड़वा बच्चे या तो फ्रेटर्नल (इनमें दो एग और दो स्पर्म मिलकर दो अलग-अलग भ्रूण बनाते हैं) होते हैं या फिर आइडेंटिकल (यहां एक भ्रूण दो भागों में बंट जाता है इसके बाद दोनों हिस्सों का अलग-अलग बच्चों के रूप में विकास होता है।)
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जर्नल में छपी स्टडी के मुख्य लेखक माइकल टेरेंस गैबेट का कहना है, ‘इस मामले के सामने आने पर पता चलता है कि जुड़वा तीन तरह के होते हैं। मतलब फ्रेटर्नल और आइडेंटिकल के अलावा भी इन दोनों के बीच एक तीसरी किस्म है। माइकल ब्रिसबेन की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी से जुड़े हैं।
ऑस्ट्रेलिया के ये अनोखे जुड़वा बच्चे अब साढ़े चार साल के हो गए हैं। इनके बारे में वैज्ञानिकों ने बताया कि गर्भ में इनकी मां का एग पिता के एक्स क्रोमोसोम वाले एक स्पर्म और वाई क्रोमोसोम वाले दूसरे स्पर्म से निषेचित हुआ था। प्रेग्नेंसी की शुरुआत में लिए गए अल्ट्रासाउंड में देखा गया था कि दोनों भ्रूण एक ही प्लेसेंटा से काम चला रहे हैं। इसे देखकर डॉक्टरों ने अंदाजा लगाया कि ये आइडेंटिकल जुड़वा बच्चे हैं। लेकिन जब आठ हफ्तों बाद अल्ट्रासाउंड किया गया तो पाया गया कि एक बच्चा मेल है दूसरा फीमेल तो वे हैरान रह गए, क्योंकि आइडेंटिकल जुड़वा बच्चे या तो दोनों मेल होते हैं या दोनों फीमेल। इसके बाद गैबेट की टीम को लगा कि कुछ अनोखा हुआ है।