अंतरराज्यीय परिषद् की अंतिम बैठक 2006 में हुई थी। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने अपने दस वर्ष के कार्यकाल में महज दो बैठकों का आयोजन किया था। अंतरराज्यीय परिषद् का गठन 28 मई 1990 को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत हुआ था। मई 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अंतरराज्यीय परिषद् के ढांचे को पुनर्बहाल किया था। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले एक वर्ष में देश के अलग-अलग हिस्से में पांच क्षेत्रीय परिषदों की बैठक की अध्यक्षता की है जिसमें संबंधित क्षेत्रीय परिषद् के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। परिषद् के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं जबकि उनके छह वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली, एम. वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, मनोहर पर्रिकर को उन्होंने सदस्य नामित किया है। 11 अन्य मंत्री परिषद् में स्थायी रूप से निमंत्रित हैं। ये सभी लोग बैठक में शामिल होंगे।
दस वर्ष के बाद आयोजित होने वाले अंतरराज्यीय परिषद् की 11वीं बैठक में एससी..एसटी पर उत्पीड़न के मुद्दों के साथ ही स्कूल शिक्षा, प्रत्यक्ष लाभ योजना, आधार कार्ड, सुशासन और आर्थिक तथा सामाजिक योजना पर भी चर्चा होगी।
नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 जुलाई को मुख्यमंत्रियों के साथ अंतरराज्यीय परिषद् की बैठक करेंगे । सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री परिषद् के सदस्य हैं जहां वे अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं और शिकायतों को उठा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, एससी-एसटी उत्पीड़न के मुद्दे को लेकर अंतरराज्यीय परिषद् की बैठक मे जोरदार चर्चा होने की संभावना है।