नई दिल्ली, केवीआईसी के कैलेंडर और डायरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर उठे विवाद के बीच महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने कहा है कि कभी महात्मा गांधी का चरखा सशक्तिकरण का औजार था लेकिन अब वह लोगों के लिए विश्वसनीयता हासिल करने के लिए फैशन की चीज बन गया है। उन्होंने कहा, व्यक्ति को यह जरूर याद रखना चाहिए कि बापू का चरखा उत्पादन का औजार था, कमजोर और गरीबों के लिए सशक्तिकरण का औजार था और स्वतंत्रता के संघर्ष का भी औजार था। लेकिन अब यह लोगों के लिए विश्वसनीयता हासिल करने के लिए फोटोग्राफी के शौक या फैशन की चीज बन गया है। तुषार गांधी ने कहा कि यह अब उसके साथ फोटो लेना शौक बन गया है। उन्होंने कहा, यह मुद्दा मेरे दिमाग में बालक फिल्म के एक गाने की पंक्तियां याद दिलाता है। उन्होंने कहा, गाने में बच्चा बापू से कहता है, सुन ले बापू ये पैगाम, मेरी चिट्ठी तेरे नाम, चिट्ठी में सबसे पहले, लिखता तुझको राम राम.. और फिर वह कहता है, जो आज के लिए बिल्कुल समयोचित है- तेरी लकड़ी ठगों ने ठग ली, तेरी बकरी ले गये चोर। तुषार गांधी ने कहा, मैं समझता हूं कि ये पंक्तियां आज के नेताओं के रूख को पेश करती हैं। चरखा, विश्वसनीयता हासिल करने का फैशन भर है। उनकी (महात्मा गांधी की) तस्वीर का आज कोई मतलब, मूल्य या दर्शन नहीं है। यह अब बस फोटोग्राफ शौक है। इसी बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने विवाद को अनावश्यक करार देते हुए कहा, केवीआईसी में ऐसा कोई नियम नहीं है कि उसकी डायरी एवं कैलेंडर में बस गांधीजी की तस्वीर होनी चाहिए।