पटना, बिहार सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में आबादी के अनुरूप आरक्षण देने के लिए इसका दायरा 60 से बढ़ा कर 75 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है और इसके लिए चालू सत्र में ही विधायक लाया जाएगा ।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में पेश जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद राज्य में आरक्षण का दायरा 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया था । इस प्रस्ताव के कुछ ही देर के नीतीश मंत्रिमंडल ने इस पर मोहर भी लगा दी है। अब विधानमंडल के चालू सत्र में ही इससे संबंधित विधायक लाया जाएगा ।
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा था कि अनुसूचित जातियों – जनजातियों को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिलता है । 2011 की जनगणना की तुलना में इनकी आबादी बढ़ी है। इसलिए अनुसूचित जाति को 16 के बदले 20 और जनजातियों को एक के बदले दो प्रतिशत आरक्षण दिया जाए । इसी तरह पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की भी आबादी बढ़ी है। उन्हें अभी 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, इसे बढ़ा कर 43 प्रतिशत किया जाए। पिछड़े वर्ग की महिलाओं को पहले से मिलने वाला तीन प्रतिशत आरक्षण इसमें समायोजित कर दिया जाएगा। राज्य सरकार पहले से ही महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दे रही है। इसलिए अब इसकी आवश्यकता नहीं रह गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सवर्ण गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण यथावत रहेगा । इस तरह आरक्षण 60 से बढ़कर 75 प्रतिशत हो जाएगा । उन्होंने कहा कि सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 94 लाख गरीब परिवार हैं और उनके पास कोई रोजगार नहीं है । इन गरीब परिवार को 2 लाख रुपए राज्य सरकार की तरफ से मदद दी जाएगी। ये मदद सभी जाति के गरीबों को पहुंचाई जाएगी।
श्री कुमार ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 63 हजार 850 परिवार के पास रहने के लिए घर नहीं है । उन्हें जमीन खरीदने के लिए 60 हज़ार रुपये के बदले एक लाख रुपये दिया जाएगा। इसके अलावा घर बनाने के लिए पहले से एक लाख 20 हजार रुपये दिया जाता है, वह भी मिलेगा। इन दोनों योजनाओं के लिए 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को 50-50 हजार रुपये प्रति वर्ष खर्च कर 5 साल में पूरा कर लिया जाएगा लेकिन विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो 2 साल मे ही यह लक्ष्य पूरा हो जाएगा।