लखनऊ, रिटायर अफसरों और जजों के फोरम ने योगी सरकार के कोविड मैनेजमेंट की जम कर तारीफ की है । 151 पूर्व आईएएस अफसरों और जजों ने पत्र लिख कर कोरोना काल में सरकार द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की है।
बुद्धिजीवियों के फोरम ने राष्ट्र विरोधी ताकतों के खिलाफ योगी सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई का विरोध करने वालों को आइना दिखाया है। फोरम ने यूपी में अपराधियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का समर्थन करते हुए कानून व्यवस्था को सराहा है।
151 बुद्धिजीवियों के फोरम ने पत्र लिख कर कहा है कि किसी को यह नहीं भूलना चाहिए की किस तरह कोविड के दौरान राज्य सरकार ने 40 लाख प्रवासियों के भरण पोषण की व्यवस्था की । उनके इलाज के साथ ही घर पहुंचाने की भी व्यवस्था की। राज्य सभा के भूतपूर्व महासचिव एवं यूपी के मुख्य सचिव रहे योगेंद्र नारायण, भूतपूर्व मुख्य सचिव राज भार्गव, ‘रा’ के भूतपूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी, गुजरात के लोकायुक्त रहे एस एम सोनी, इलाहाबाद हाई कोर्ट के भूतपूर्व जज एस वी एस राठौर, केरल के भूतपूर्व मुख्य सचिव आनंद बोस, भूतपूर्व राजनयिक लक्ष्मी पूरी, विद्या सागर, अशोक कुमार, वीरेंद्र गुप्ता, पंजाब के भूतपूर्व डीजीपी ए पी पांडे और पी सी डोगरा सहित तमाम बुद्धिजीवियों के दस्तखत वाले पत्र में कहा गया है कि योगी सरकार ने जिस तरह से यूपी में कोविड की दूसरी लहर को नियंत्रित किया वह पूरी दुनिया के लिए एक नजीर है।
राष्ट्र विरोधी ताकतों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए फोरम ने कहा कि सवाल उठाने वालों को योगी सरकार बनने के पहले की एनसीआरबी रिपोर्ट और सरकार बनने के बाद की एनसीआरबी रिपोर्ट देखनी चाहिए। फोरम ऑफ कंसंर्ड सिटीज़न ने उस दावे को खारिज किया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यूपी सरकार द्वारा पुलिस मुठभेड़ के नाम पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है । फोरम की तरफ से सोमवार को जारी खुले पत्र में कहा गया है कि चंद पूर्व नौकरशाह राजनीतिक कारणों से झूठे एवं मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं । राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेन्द्र नारायण के नेतृत्व में फोरम आफ कंसंर्ड सिटीजन की तरफ से जारी बयान में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के आरोप को निराधार बताया है।
फोरम ने पत्र में आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि उत्तर प्रदेश में 20 मार्च 2017 से 11 जुलाई 2021 के बीच कुल 8367 मुठभेड़ हुई हैं। इनमें 18025 अपराधी घायल हुए। इनमें से 3246 को गिरफ्तार किया गया और 140 मारे गए हैं। मारे गए अपराधियों में से 115 इनामी थे।