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बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का विलय, ग्राहकों पर क्या असर?

नयी दिल्ली, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय का रास्ता साफ कर दिया। मंत्रिमंडल ने देना बैंक और विजया बैंक को सरकारी क्षेत्र के ही एक बड़े बैंकिंग प्रतिष्ठान बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) में मिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस विलय के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में विलय को मंजूरी दी गई। फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ” इस विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद कोई छटनी भी नहीं होगी।” इन तीनों बैंकों के निदेशक मंडलों ने प्रस्तावित विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली की दरों को अंतिम रूप दे दिया है। विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयरधारकों को इस बैंक के प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे।

वहीं देना बैंक के मामले में, उसके शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे। यह योजना एक अप्रैल, 2019 से अस्तित्व में आएगी।  मीडिया से बातचीत में प्रसाद ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी ऋणदाता बनाने के लिये विलय की यह योजना तैयार की गयी है। ‘‘इससे कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद किसी कर्मचारी की छंटनी नहीं की जाएगी।’’

विलय के फलस्वरूप बैंक आफ बड़ौदा सरकारी क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। विलय के बाद अस्तित्व में आए बैंक का कुल कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपये होगा। विलय के बाद देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 19 रह जाएगी। विलय की योजना को 30 दिन तक संसद में रखा जाएगा जिससे सदस्य इस पर गौर कर सकें।

सूत्रों ने बताया कि इसे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रखा जाएगा। शीतकालीन सत्र आठ जनवरी को समाप्त हो रहा है।  सितंबर, 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली वैकल्पिक व्यवस्था ने तीनों बैंकों के विलय को सैद्धान्तिक मंजूरी दी थी। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने पिछले साल कहा था कि विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली इकाई के कर्मचारियों को बेहतरीन सेवा शर्तें उपलब्ध कराई जाएंगी और किसी भी कर्मचारी को इसमें कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। इसके अलावा ब्रांड पहचान को कायम रखा जाएगा।

सरकार पहले ही विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली इकाई के लिए पूंजी समर्थन की प्रतिबद्धता जता चुकी है। इस इकाई का शुद्ध एनपीए अनुपात 5.71 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 12.13 प्रतिशत के औसत अनुपात से काफी कम है। इसके अलावा इस इकाई का प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) 67.5 प्रतिशत पर बेहतर रहेगा जबकि इसका औसत 63.7 प्रतिशत है। साथ ही इस बैंक का लागत से आय अनुपात 48.94 प्रतिशत होगा, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का औसत 53.92 प्रतिशत है।

पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) 12.25 प्रतिशत होगा जो 10.87 प्रतिशत की नियामकीय जरूरत से बेहतर है। बंबई शेयर बाजार में बुधवार को बैंक आफ बड़ौदा का शेयर 3.16 प्रतिशत टूटकर 119.40 रुपये पर बंद हुआ। वहीं विजया बैंक और देना बैंक के शेयर क्रमश: 51.05 रुपये और 17.95 रुपये पर लगभग स्थिर बंद हुए। वर्ष 2017 में एसबीआई ने अपने पांच अनुषंगी बैंकों का खुद में विलय किया था। इसके अलावा उसने भारतीय महिला बैंक का भी खुद में विलय किया था।