मुंबई, विदेशी बाजारों के नकारात्मक रुख के दबाव में बीते सप्ताह मामूली गिरावट में रहे घरेलू शेयर बाजार में निवेशकों की अगले सप्ताह सेवा क्षेत्र के पीएमआई, वाहनों की खुदरा और थोक बिक्री के जारी होने वाले आंकड़ों पर नजर तो रहेगी ही लेकिन अमेरिकी फेड रिजर्व के ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार 0.75 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की प्रबल संभावना के डर का साया भी रहेगा।
बीते सप्ताह बुधवार को गणेश चतुर्थी पर अवकाश के कारण बाजार में चार दिन ही कारोबार हुआ। इनमें से सेंसेक्स में दो दिन तेजी जबकि दो दिन गिरावट रही। सप्ताहांत पर बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 30.54 अंकी की मामूली गिरावट के साथ 58803.33 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 19.45 अंक फिसलकर 17539.45 अंक पर रहा।
समीक्षाधीन सप्ताह बीएसई की दिग्गज कंपनियों के विपरीत छोटी और मझौली कंपनियों में एक प्रतिशत से अधिक की तेजी ने बाजार को संभाल लिया। सप्ताहांत पर मिडकैप 344.91 अंक की तेजी के साथ 25463.91 अंक और स्मॉलकैप 384.93 अंक मजबूत होकर 28800.82 अंक पर रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका में अगस्त में रोजगार सृजन में उम्मीद से अधिक की बढ़ोतरी होने के आंकड़ों ने केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को आसमान छू रही महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार 0.75 प्रतिशत वृद्धि करने का ठोस आधार दे दिया है। फेड रिजर्व की ओपन मार्केट कमेटी की 20-21 सितंबर को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में वृद्धि किया जाना तय माना जा रहा है। अगले सप्ताह बाजार में निवेशकों को इसका डर जरूर सताएगा और इसके अनुसार ही उनकी गतिविधि भी तय होगी।
फेड रिजर्व के अध्यक्ष जोरोम पॉवले भी हाल ही में जैक्सन हॉल बैठक के दौरान अपने वक्तव्य में महंगाई को दो प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए सभी आवश्यक कदम तेजी से उठाए जाने के संकेत दे चुके हैं। उन्होंने कहा था, “ऊंची ब्याज दरें, धीमी विकास दर और श्रम बाजार में नरमी से मुद्रास्फीति में कमी आएगी। हम इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक हमें विश्वास नहीं हो जाता कि काम पूरा हो गया है।” बीते सप्ताह इसका असर अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू बाजार पर साफ देखा जा चुका है।
इसके साथ ही अगले सप्ताह स्थानीय स्तर पर अगस्त के सेवा क्षेत्र की पीएमआई के आंकड़े तथा अगस्त में वाहनों की खुदरा और थोक बिक्री के आंकड़े भी जारी होने वाले हैं। बाजार की दिशा निर्धारित करने में इन कारकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
अमेरिका में आसमान छूती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए फेड रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत से वैश्विक बाजार में आई गिरावट के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली से सोमवार को सेंसेक्स 861.25 अंक का गोता लगाकर एक माह के निचले स्तर 58 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 57972.62 अंक और निफ्टी 246 अंक लुढ़ककर 17312.90 अंक पर आ गया।
वहीं, देश में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में तेजी रहने की उम्मीद से हुई चौतरफा लिवाली की बदौलत मंगलवार को शेयर बाजार ने ढाई प्रतिशत से अधिक की छलांगी मारी। सेंसेक्स 1564.45 अंक की उड़ान भरकर तीन दिन बाद 59 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 59537.07 अंक और निफ्टी 446.40 अंक की छलांग लगाकर 17759.30 अंक पर पहुंच गया।
दुनिया के आर्थिक मंदी की चपेट में जाने का खतरा और वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका से विदेशी बाजारों में आई गिरावट से हताश निवेशकों की स्थानीय स्तर पर ऊर्जा, आईटी, टेक, धातु, तेल एवं गैस और पावर समेत तेरह समूहों में हुई बिकवाली से शेयर बाजार पिछले दिवस की तजी गंवाते हुए गुरुवार को एक प्रतिशत से अधिक लुढ़क गए। सेंसेक्स 770.48 अंक का गोता लगाकर 58766.59 अंक और निफ्टी 216.50 अंक गिरकर 17542.80 अंक पर आ गया। वैश्विक बाजार के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर छह समूहों में हुई लिवाली से शुक्रवार को सेंसेक्स में तेजी रही वहीं बिकवाली होने से निफ्टी गिर गया। सेंसेक्स 36.74 अंक बढ़कर 58803.33 अंक पर रहा जबकि निफ्टी 3.35 अंक उतरकर 17539.45 अंक पर आ गया।