नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण के मामलों में अपने आदेशों की परवाह नहीं करने को लेकर केंद्र की खिंचाई की और सवाल किया कि क्या सरकार कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को विदेश से वापस लाने की इच्छाशक्ति रखती है.
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रत्यर्पण के मामलों में अपने आदेशों की ‘परवाह नहीं करने’ को लेकर केंद्र को आड़े हाथों लिया. न्यायालय ने सरकार से पूछा कि, क्या सरकार कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को विदेश से वापस लाना चाहती है? शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला कारोबारी के प्रत्यर्पण मामले में की है.
यह महिला कारोबारी भारत में आपराधिक मुकदमे का सामना कर रही है, लेकिन उसे सर्वोच्च अदालत के आदेश पर जनवरी, 2016 में लंदन जाने की इजाजत दे दी गई थी. न्यायालय ने महिला की ओर से बतौर मुचलका जमा कराए गए 86 लाख रुपए जब्त कर लिए. इसके अलावा उसका पासपोर्ट निरस्त करने और अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश भी दिया है.
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागोदर की पीठ ने कहा, ‘क्या रवैया है? आपको उच्चतम न्यायालय के आदेश की परवाह भी नहीं है. हम विदेश मंत्रालय में अधिकारियों को वस्तुत: चेतावनी दे रहे थे लेकिन आपने कदम नहीं उठाया.’ शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई देश से भाग गया, लेकिन सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर रही है.