मुंबई, भारतीय क्रिकेट के सफलतम कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी ने एकदिवसीय और टी-20 टीमों की कप्तानी से भी हटने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट के धोनी युग का अंत हो गया लेकिन धोनी अभी खेलना नहीं छोड़ेंगे। धोनी ने कप्तानी से हटने का फैसला कर नई मिसाल पेश की है।
क्रिकेट इतिहास में धोनी का नाम भारत के ही नहीं विश्व के सफलतम कप्तानों की सूची में आता है। वन-डे में धोनी ने सबसे ज्यादा 110 मैचों में टीम को जीत दिलाई है। टी20 में टीम इंडिया धोनी की कप्तानी में 41 मैचों में जीती है। धोनी का यह फैसला हैरानी भरा रहा जिससे पूरा क्रिकेट जगत सकते में हैं। धोनी से इस्तीफे की उम्मीद किसी को नहीं थी। मैदान पर ‘कैप्टन कूल’ के नाम से मशहूर धोनी ने कप्तानी छोड़ने का फैसला भी उतने ही शांत अंदाज में लिया, जिस तरह वह मैदान पर कप्तानी करते रहे हैं।
क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के कहने पर चयनकर्ताओं ने धौनी को टीम की कमान सौंपी थी और धौनी ने सचिन की सिफरिश को शत प्रतिशत सही ठहराया। अपनी पहली परीक्षा में उन्होंने भारत का नाम इतिहास में दर्ज करा दिया। दक्षिण अफ्रीका में हुए पहले टी-20 विश्व कप में धौनी पहली बार भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे थे। धोनी ने जीत के सिलसिले को इस तरह शुरू किया कि टीम फाइनल में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर विजेता बनकर लौटी। इसके बाद धोनी जीत और कप्तानी की नई इबारत लिखते चले गए। टी-20 विश्व कप जीत के बाद राहुल द्रविड़ के एकदिवसीय में कप्तानी छोड़ने के बाद धोनी को टीम का कप्तान बनाया गया। धोनी ने इस प्रारूप में भी सफलता के नए आयाम लिखे। 2011 में भारतीय सरजमीं पर खेले गए 50 ओवरों के विश्व कप के फाइनल में धोनी ने छक्का लगाकर 28 साल बाद देश को विश्व कप खिताब दिलाया।
महेंद्र सिंह धोनी ने वन-डे और टी20 की कप्तानी छोड़ दी। लेकिन वे दोनों फॉर्मेट में फिलहाल खेलते रहेंगे। इंग्लैंड के खिलाफ इसी महीने होने वाली वन-डे और टी20 सीरीज में रहेंगे, लेकिन कप्तानी नहीं करेंगे।