नयी दिल्ली, हॉकी इंडिया के पूर्व तकनीकी निदेशक रिक चार्ल्सवर्थ ने भारतीय हॉकी में आए तीव्र बदलाव का कारण बताते हुए कहा है कि भारत ने अब दूसरी टीमों की नकल करने के बजाय अपने रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है।
चार्ल्सवर्थ ने स्पोर्टस्टार को दिये गये एक साक्षात्कार में कहा, “भारतीय हॉकी के स्वर्णिम दौर में आपके पास ऐसे कई फायदे थे जो हमारे पास नहीं थे। मैं उस समय खेला करता था। मेरे सन्यास लेने के बाद टीम में ऐसे खिलाड़ी आए जो कभी भारत या पाकिस्तान से हारते नहीं थे। तस्वीर पूरी तरह उलट हो गई थी। यह शायद इसलिये हुआ क्योंकि भारत ने सीखना बंद कर दिया।”
उन्होंने कहा, “एक दौर आया जब उन्होंने अपना खेल खेलने के बजाय दूसरे लोगों की नकल करने की कोशिश की। अब वे उस चरण में वापस आ गए हैं जहां उन्हें लगता है कि उन्हें अपने पास मौजूद कौशल को इस्तेमाल करना चाहिये और अन्य टीमों को उनकी नकल करने देना चाहिये। यह नज़रिये में बदलाव है जिसे मैंने पिछले 10-15 में विकसित होते देखा है। यह नतीजों में भी झलक रहा है।”
भारत की पुरुष व महिला हॉकी टीमों ने बीते कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है। पुरुष टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीतने के बाद बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 में रजत पदक अपने नाम किया। महिला टीम ने भी बर्मिंघम में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांसे का तमगा जीता।
चार्ल्सवर्थ ने कहा, “हॉकी में जो हमने देखा है वह एक स्थिर विकास है। पुरुष और महिला दोनों टीमें अब बड़े स्तर पर बहुत प्रतिस्पर्धी हैं। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि यह आगे भी ऐसा ही क्यों नहीं रहेगा। हो सकता है अगले 10 वर्षों में आप उन्हें प्रमुख प्रतियोगिताओं में सिर्फ पोडियम पर नहीं बल्कि पोडियम के शीर्ष पर देखें।”
उन्होंने कहा, “जब मैं 12 साल पहले भारत में था, तो मैंने कहा था कि भारत के लिए प्रमुख टूर्नामेंटों में पदक विजेता बनना 10 साल का काम है। हमने टोक्यो में जो देखा वह गुणवत्ता में लगातार सुधार का नतीजा था।”
चार्ल्सवर्थ का मानना है कि भारतीय खिलाड़ियों की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं थी, लेकिन उन्हें विश्वास की जरूरत थी जो उन्हें हॉकी इंडिया लीग से मिला।
चार्ल्सवर्थ ने कहा, “क्रिकेट में इंडियन प्रीमियर लीग की तरह ही, यह मुख्यतः हॉकी इंडिया लीग के कारण मुमकिन हो पाया। हॉकी खिलाड़ियों को विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिला और उन्होंने अंततः महसूस किया कि विदेशी खिलाड़ियों के भी उनके जैसे ही दो हाथ और पैर थे। कई भारतीय खिलाड़ियों ने अपना विश्वास बढ़ाया, जबकि उनमें गुणवत्ता हमेशा से थी।”
उल्लेखनीय है कि भारतीय पुरुष टीम 28 अक्टूबर को अपना एफआईएच हॉकी प्रो लीग अभियान न्यूजीलैंड के खिलाफ शुरू करेगी।