नई दिल्ली, चीन से लगी अरुणाचल प्रदेश की सीमा और सीमा पार हो रही गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने भी इस दिशा में काम करने का मन बना लिया है। सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्य के लोगों की सहुलियत को देखते हुए यहां पर अब रेल नेटवर्क बिछाने पर काम किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने तवांग तक रेल नेटवर्क तैयार करने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है। इसकी संभावना तलाशने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा समेत किरण रिजिजू को सौंपी गई है। इसके लिए यह दोनों मंत्री शनिवार को अरुणाचल प्रदेश भी जाएंगे।
मौजूदा समय में असम के आखिरी रेलवे स्टेशन भालूखपोंग से लेकर तवांग तक बनने वाली रेलवे लाइन के लिए यहां संभावना तलाशी जाएगी। इन दोनों के बीच करीब 378 किमी की दूरी है। सड़क मार्ग से इस दूरी को पूरा करने में करीब 18 घंटे का समय लगता है। यहां का सबसे नजदीक और बड़ा स्टेशन गुवाहाटी है। लिहाजा किसी तरह की इमरजेंसी में यहां के लोगों को इस पर ही निर्भर भी रहना होता है। तवांग रेल लाइन के अलावा उत्तरी लखीमपुर-बामा-सिलापाथर तक की 249 किमी लंबी रेल लाइन के लिए भी सर्वे किया जाएगा। यह पासीघाट एयरपोर्ट और अरुणाचल प्रदेश के रुपा के बीच में स्थित है। अपने अरुणाचल प्रदेश के दौरे के दौरान दोनों केंद्रीय मंत्री वहां स्थानीय लोगों से मिलकर इस संबंध में उनकी राय भी जानेंगे। इसके अलावा रेलवे अधिकारियों और यहां के जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे। गौरतलब है कि तवांग रेल नेटवर्क का रणनीतिक और सामरिक महत्व है। भी है। इस इलाके पर चीन काफी समय से अपना अधिकार बताता रहा है। इसके अलावा वह बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा के यहां प्रवेश को लेकर भी चीन लगातार शोर मचाता रहा है।