चेन्नई, देश में हरित क्रांति के जनक महान वैज्ञानिक डॉ. एम एस स्वामीनाथन का गुुरुवार को तमिलनाडु के चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे और लंबे समय से वृद्धावस्थाजनित रोगों से पीड़ित थे।
एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महान कृषि वैज्ञानिक का काफी समय से उम्र संबंधी बीमारी का इलाज किया जा रहा था। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं।
डॉ. स्वामीनाथन ने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया था। इस पहल के चलते पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी मदद मिली थी। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख पदों पर सेवा दी थी। वह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक (1961-1972), आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव (1979-80) के पद पर सेवाएं दीं।
डॉ. स्वामीनाथन को 1987 में प्रथम खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था।