नई दिल्ली, महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले विधेयक को पारित कराने का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह विधयेक अब तक संसद में पारित नहीं हो सका है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इसे पारित कराना सभी राजनीतिक दलों का दायित्व है ।
राज्यों की महिला विधायकों एवं विधान पार्षदों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दो तिहाई बहुमत से एक सदन में (लोकसभा) पारित होने के बाद भी महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं एवं परिषदों में 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक दूसरे सदन (राज्यसभा) में पारित नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर उनकी प्रतिबद्धता इसे अमलीजामा पहनाकर ही पूरी की जा सकती है। इस बारे में राजनीतिक दलों का दायित्व है। उनकी प्रतिबद्धता कार्यरूप में अमल में आनी चाहिए।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण और संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार के लिए यह जरूरी है कि उन्हें आरक्षण दिया जाये। जब तक उन्हें आरक्षण नहीं दिया जायेगा, ऐसा नहीं हो सकेगा।राष्ट्रपति ने कहा कि राजनीतिक दल जो अपना प्रतिनिधि मनोनीत करते हैं, उन्हें इस दिशा में पहल करनी है। संसद की स्थायी समितियों में प्रतिनिधि मनोनीत करते समय इस पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण है कि जब अवसर दिया जाता है तब महिलाएं किस प्रकार से समाज को बेहतर बनाने का रास्ता तैयार कर देती हैं। पंचायतों और स्थानीय निकायों में 12.70 लाख निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं और वे काफी अच्छा काम कर रहीं हैं। कई राज्यों में पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है और कई राज्य इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
प्रणब मखर्जी ने कहा कि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और संविधान में कहा गया है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं, जीवन के हर क्षेत्र में समानता का अधिकार है। जब महिलाओं के सशक्तिकरण की बात आती है तब हम प्रतिनिधित्व देकर ही आगे बढ़ा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है लेकिन आज भी हम संसद में इन्हें 12 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि हम बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व देने के संबंध में दुनिया के 190 देशों में भारत का 109वां स्थान है। यह स्थिति बदलनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान अपने 43 वर्षों के संसदीय जीवन और महिला आरक्षण के बारे में हुए प्रयासों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संसद में केवल विधेयक ही पारित न हो बल्कि सौहार्दपूर्ण माहौल भी बने।
राष्ट्रपति के संबोधन के समय मंच पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सभागार में केंद्रीय मंत्री, विभिन्न राजनीतिक दलों की महिला सांसद और राज्य विधानसभाओं की विधायक और पार्षद मौजूद थीं।