नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने कई विसंगतियों वाले 21 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की अनुमति मांगने वाली एक महिला की याचिका पर एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया है जो मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की अनुमति देने के लिए स्थिति की जांच कर सलाह देगा। उच्चतम न्यायालय के न्याययधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल एन राव की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के सात सदस्यीय मेडिकल बोर्ड को 21 वर्षीय महिला की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
पीठ ने कहा, मेडिकल बोर्ड याचिकाकर्ता संख्या एक की जांच कर उसकी हालत और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी पर सलाह देने वाली रिपोर्ट पेश करेगा। मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी। पीठ ने इस याचिका पर केन्द्र को भी नोटिस भेजा है। महिला ने उच्चतम न्यायालय से इस आधार पर गर्भपात की अनुमति मांगी है कि भ्रूण में गुर्दे नहीं है और इसके अलावा भी इसमें अनेक विसंगतियां हैं। माता और भ्रूण की जान पर खतरा होने के बावजूद भी कानून 20 सप्ताह के बाद गर्भपात की अनुमति नहीं देता। महिला ने अपनी याचिका में कहा, याचिकाकर्ता को गर्भावस्था के 21वें सप्ताह में पता चला कि उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण में गुर्दे नहीं हैं और इसके अलावा भी भ्रूण में अनेक विसंगतियां हैं यह स्थापित लगाने के लिए उसे दो परीक्षणों से गुजरना पड़ा है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय इससे मिलते जुलते एक अन्य मामले में मंुबई की एक महिला को 24 सप्ताह के भ्रूण को गिराने की अनुमति दे चुका है।