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मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक सशक्तिरकण में भी कुशल बनें सैनिक: राजनाथ सिंह

नयी दिल्ली, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि युद्ध की निरंतर विकसित होती प्रकृति की चुनौतियों से निपटने के लिए सैनिकों को युद्ध कौशल में उत्कृष्टता हासिल करने के साथ-साथ मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक सशक्तिकरण में भी समान रूप से कुशल होना चाहिए।

राजनाथ सिंह ने सोमवार को राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्माकुमारी मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “आज के युद्ध की निरंतर विकसित होती प्रकृति से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के क्रम में, हमारे सैनिकों को युद्ध कौशल में उत्कृष्टता हासिल करने के साथ-साथ मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक सशक्तिकरण में भी समान रूप से कुशल होना चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि आजकल साइबर, अंतरिक्ष, सूचना और मनोवैज्ञानिक मोर्चों पर युद्ध लड़े जा रहे हैं और सैनिकों को मानसिक रूप से मजबूत होने की आवश्यकता है, क्योंकि राष्ट्र की रक्षा केवल हथियारों से नहीं, बल्कि मजबूत व्यक्तित्व, प्रबुद्ध चेतना और जागरूकता से भी की जा सकती है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि एक सैनिक के लिए शारीरिक शक्ति तो जरूरी है ही, साथ ही मानसिक शक्ति भी उतनी ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि सैनिक कठिन परिस्थितियों में सेवा करते हुए देश की रक्षा करते हैं और इन चुनौतियों का सामना एक मजबूत आंतरिक आत्मा से पैदा हुई ऊर्जा के जरिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक तनाव, अनिश्चितता और कठिन परिस्थितियों में काम करने से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, जिसके लिए आंतरिक आत्मा को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सैनिकों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए ब्रह्माकुमारी का अभियान इस दिशा में एक सराहनीय कदम है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह पहल मौजूदा वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए सैनिकों के मन को और मजबूत करेगी। उन्होंने कहा, “ अभियान का विषय ‘आत्म-सशक्तिकरण – आंतरिक जागृति के माध्यम से’ आज के समय में अत्यंत रोचक और प्रासंगिक है। ध्यान, योग, सकारात्मक सोच और आत्म-संवाद के माध्यम से आत्म-परिवर्तन हमारे बहादुर सैनिकों को मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करेगा। आत्म-परिवर्तन का बीज है और राष्ट्र का परिवर्तन इसका फल है। वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में, भारत यह संदेश दे सकता है कि आंतरिक-आत्म और सीमाओं की सुरक्षा एक साथ संभव है।”

रक्षा मंत्री ने आध्यात्मिकता और योग को भारतीय संस्कृति में समाहित बताते हुए कहा कि यह मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ-साथ तनाव, चिंता और भावनात्मक उतार-चढ़ाव से निपटने का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने कहा कि एक सतर्क और मजबूत सुरक्षाकर्मी राष्ट्र के लिए प्रकाश स्तंभ बन जाता है, जो किसी भी तूफान का दृढ़ संकल्प के साथ सामना कर सकता है। उन्होंने आवासीय, क्षेत्रीय और ऑनलाइन कार्यक्रमों, विशेष अभियानों और बल-विशिष्ट परियोजनाओं के माध्यम से सुरक्षा बलों को मजबूत करने के लिए ब्रह्माकुमारी संगठन की सुरक्षा सेवा शाखा की सराहना की।

राजनाथ सिंह की उपस्थिति में, इस कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग, रक्षा मंत्रालय और मुख्यालय एसएसडब्ल्यू, ब्रह्माकुमारी के राजयोग शिक्षा और अनुसंधान फाउंडेशन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य पूर्व-सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के लाभार्थियों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने और दवाओं पर निर्भरता कम करने की दिशा में मार्गदर्शन करना है।