नयी दिल्ली, भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के बारे में सबसे अच्छी बात है कि वह हर सीरीज़ से पहले बल्लेबाज़ों को लेकर रणनीति बनाते हैं। वह कहते हैं कि उन्हें इसकी ज़रूरत हैं। वह मानते हैं कि उनका शरीर टीम के अन्य खिलाड़ियों की तरह तेज़ तर्रार नहीं है। साथ ही उनके करियर में उन्हे कई बार चोट का सामना करना पड़ा है। इसी कारणवश वह यह भी मानते हैं कि अगर क्रिकेट में उन्हें आगे बढ़ते रहना है तो मैदान पर उन्हें भाग्य के थोड़े अधिक सहारे की ज़रूरत है।
क्रिकेट मंथली के लिए इस साक्षात्कार का दिन तय करने में उन्हें तकरीबन एक वर्ष का समय लगा था। जब अश्विन को न्यूज़ीलैंड सीरीज़ और साउथ अफ़्रीका दौरे के बीच कुछ दिन मिले, तो इस दौरान यह साक्षात्कार किया गया।
अश्विन ने कहा,’जब शारीरिक तैयारी की बात आती है, तो 2017 और 2019 के बीच मैं पहली बार पेटेलर टेंडोनाइटिस नामक चोट की चपेट में आया था। ऐसा नहीं है कि आप इसके साथ नहीं खेल सकते हैं, लेकिन चोट की ख़ूबसूरती यह है कि आपके घुटने गर्म नहीं होंगे या कहें कि खेलने के लिए तैयार नहीं होंगे। सुबह के समय पैदल चलना भी बेहद दर्दनाक हो सकता है। दिन ढलते आपके घुटने ठीक से काम तो करेंगे, लेकिन आप हल्की दौड़ भी नहीं कर सकते। यह दर्द हमेशा आपके साथ रहता है।’
उन्होंने कहा,’मैं इस बात पर ध्यान देना चाहता हूं कि आप बड़ी सीरीज़ के लिए कैसे तैयारी करते हैं, क्योंकि मेरा मानना है कि आप दुनिया के उन खिलाड़ियों में से हैं जो किसी भी सीरीज़ या मैच से पहले सबसे बेहतरीन और सटीक तैयारी करते हैं। मुझे याद है कि आपने एक बार कहा था कि स्वाभाविक रूप से चपल रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी के लिए, एक दिन में 30 ओवर फेंकना और लंबे समय तक गेंदबाज़ी करना आसान होता है जबकि आप जैसे किसी खिलाड़ी को अपने शरीर से लड़ना पड़ता है। एक सीरीज़ के लिए आपकी तैयारी कब शुरू होती है?
अश्विन ने कहा,’मेरे अनुसार तैयारी के दो पहलू हैं। एक शारीरिक और दूसरा मानसिक एवं रणनीतिक। मुझे नहीं लगता कि लोग रणनीतिक चीज़ों पर पर्याप्त ज़ोर देते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि रणनीतिक तैयारी अनिवार्य है, क्योंकि मैंने उस माहौल में भी क्रिकेट खेला है जहां लोग रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अपनी क्षमताओं और अपनी ताक़त पर भरोसा करना चाहते हैं।