लंदन, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूनिवर्सिटी परिसरों में हाल में हुई हिंसा के लिए एक उपद्रवकारी गठजोड़ को जिम्मेदार करार दिया और दलील दी कि अलगाववादी एवं वाम चरमपंथी कुछ संस्थानों में एक जैसी भाषा बोल रहे हैं।
लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स (एलएसई) के दक्षिण एशियाई केंद्र के छात्रों से बातचीत के दौरान कुछ सवालों के जवाब में जेटली ने यह टिप्पणी की। छात्रों ने उनसे देश विरोधी शब्द के वर्गीकरण और इस हफ्ते दिल्ली युनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में आइसा एवं एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के बारे में सवाल किए थे। जेटली ने रविवार को कहा, देश के विखंडन जैसी चीजें सोचने वाले किसी विचार से मुझे नफरत है। देश की संप्रभुता को बरकरार रखने की रूपरेखा के दायरे में हम वैचारिक तौर पर मतभेद रख सकते हैं, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी आपको इस बात की इजाजत नहीं देती कि आप देश की संप्रभुता पर हमला करें। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी परिसरों में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। जेटली ने कहा, व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि भारत और किसी भी समाज में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होनी चाहिए। यदि आप मानते हैं कि आपको देश की संप्रभुता पर हमला करने का हक है तो इससे मुकाबले के लिए अभिव्यक्ति की आजादी मानने के लिए तैयार रहिए।