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यूपी में भाजपा मंत्रियों के दौरे, मोदी सरकार की घोर विफलता से ध्यान बांटने की कोशिश – मायावती

Mayawati Jewelleryलखनऊ,  उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों का बिगुल फूंकते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज कहा कि उच्च केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे से उत्तर प्रदेश की गरीब शोषित जनता का कुछ भला नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि प्रदेश में भाजपा के मंत्रियों के दौरे मोदी सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल की घोर विफलता की ओर से लोगों का ध्यान बांटने की कोशिश है पर उन्हें याद रखना चाहिए कि यूपी के विधानसभा चुनाव में यहां की आम जनता भाजपा से हिसाब मांगेगी कि उन्होंने 73 सांसद और प्रधानमंत्री चुनकर दिया। इससे यहां के लोगों का क्या खास भला हुआ है।

केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर मनाये जा रहे विकास पर्व पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा, केन्द्र की भाजपा सरकार के विकास पर्व के बारे में मैं कहना चाहूंगी कि मोदी पूरी तरह फेल हो गये हैं। मायावती ने दावा किया कि विरोधी पार्टियां उनके विकास पर्व की हकीकत को जनता के सामने न रख सकें, इसलिए केन्द्र सरकार उनका मुंह बंद रखने के लिए सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर सकती है लेकिन ऐसा करने से उनको और राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल में जब विधानसभा का चुनाव नजदीक था, वहां पर भी सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया गया था। केरल में भी किया गया लेकिन परिणाम क्या आया.. लेकिन ऐसा वे अगर उत्तर प्रदेश में करते हैं तो उसका उन्हें नुकसान ही उठाना पड़ेगा।

साध्वी प्राची के मुस्लिम मुक्त भारत संबंधी बयान पर जब सवाल किया गया तो मायावती ने संवाददाताओं से कहा, केन्द्र की शह के बिना वह ऐसा बयान नहीं दे सकतीं।

उन्होंने कहा कि अगली सरकार अगर बसपा की बनी तो सपा सरकार के संरक्षण में पल रहे गुंडों, माफियाओं और सांप्रदायिक तत्वों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। मथुरा हिंसा की सीबीआई जांच कराने की मांग दोहराते हुए मायावती ने सपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में सपा और भाजपा की बयानबाजी से लगता है कि यह प्रदेश की सपा सरकार और केन्द्र की भाजपा सरकार की लापरवाही का परिणाम है। मायावती ने बसपा सरकार बनने की सूरत में अवैध कब्जों को खत्म करने की घोषणा भी की।

सपा सरकार के कार्यकाल में विकास कार्य इटावा के सैफई तक ही सीमित रहने के विरोधी पार्टियों के आरोपों के बीच मायावती ने यह भी कह डाला कि 2017 के विधानसभा चुनाव में अगर बसपा जीती तो उनकी सरकार किसी क्षेत्र विशेष या जाति विशेष का विकास नहीं करेगी बल्कि विकास के फायदे प्रदेश के हर क्षेत्र में पहुंचाएगी।

मायावती ने कहा, उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा की सरकार बनने पर हमारी सरकार का खास एजेंडा यहां प्रदेश में सपा सरकार के संरक्षण में पल रहे गुंडो, बदमाशों, माफियाओं, अराजक तत्वों, अपराधियों एवं सांप्रदायिक तत्वों को जेल की सलाखों के पीछे भेजना होगा, जहां उनकी असली जगह है।

उन्होंने कहा, सपा सरकार की तरह विकास का लाभ किसी विशेष क्षेत्र या विशेष जाति को नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्र के लोगों तक पहुंचाया जाएगा। पिछड़े क्षेत्रों का ध्यान रखा जाएगा। प्रदेश के कमजोर तबके के लोगों का प्राथमिकता के आधार पर विशेष ध्यान रखा जाएगा।

मथुरा हिंसा पर मायावती ने कहा, अब तक का रवैया साबित करता है कि दाल में थोड़ा नहीं, बल्कि बहुत काला है। यदि ऐसा नहीं है तो सपा सरकार को मथुरा हिंसा की जांच तुरंत सीबीआई को सौंपनी चाहिए ताकि इस दुखद घटना के मुख्य दोषियों पर समय पर कानूनी कार्रवाई हो सके। उन्होंने कहा कि मथुरा हिंसा को लेकर सपा और भाजपा के बीच हो रही बयानबाजी से लगता है कि यह दुखद कांड वास्तव में प्रदेश की सपा एवं केन्द्र की भाजपा सरकार की लापरवाही का परिणाम है। दोनों ही सरकारें इस मामले में असंवेदनशील बनी हुई हैं और वे दोषियों को सजा दिलाने में रुचि नहीं रखती हैं। ऐसा लोगों को मानना है। मायावती ने कहा, पूरे प्रदेश में सरकारी एवं निजी संपत्तियों पर किये गये अवैध कब्जों को भी मुक्त कराया जाएगा। ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार हमारी सरकार के ये कुछ मुख्य एजेंडे होंगे।

राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में पार्टी की रणनीति के बारे में पूछे गये सवाल पर मायावती ने पत्ते नहीं खोलते हुए कहा, कल विधान परिषद और परसों राज्यसभा का चुनाव है। हम किसे समर्थन कर रहे हैं और किसे नहीं, ये परिणाम निकलने के बाद सामने आ जाएगा। मायावती ने कहा कि सपा और भाजपा उत्तर प्रदेश में मिली हुई हैं। ऐसे बहुत से मुद्दे सामने हैं। यदि ये दोनों सरकारें आपस में नहीं मिली होतीं तो खास तौर से मथुरा कांड को लेकर अब तक केन्द्र कोई गंभीर कार्रवाई करता लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इससे साबित होता है कि दोनों पार्टियों में मिलीभगत है।

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