लखनऊ, चुनाव आयोग ने कोरोना संकट के फिर से उभरने की वजह से उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में निर्धारित समय से एक घंटा अधिक मतदान कराने सहित अन्य अहम फैसले किये हैं।
देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने राज्य में चुनावी तैयारियों की तीन दिन तक चली समीक्षा के बाद गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्हाेंने कहा कि कोरोना के खतरे को ध्यान में रखते हुये आयोग ने निर्णय लिया है कि मतदान की अवधि को एक घंटे के लिये बढ़ा दिया जाये।
चंद्रा की अगुवाई में आयोग के 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उप्र के तीन दिवसीय समीक्षा दौरे में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा विभिन्न जांच एजेंसियों सहित निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े अन्य पक्षकारों के साथ कई दौर की बैठकों के बाद यह जानकारी दी। आयोग के प्रतिनिधि मंडल में देश के दोनों निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और डा अनूप चंद्र पांडेय तथा चुनाव आयोग के महासचिव उमेश सिन्हा के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
चंद्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 14 मई को समाप्त हो रहा है। राज्य में कुल 403 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 317 सामान्य, 84 अनुसूचित जातियों तथा 02 अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इन सभी सीटों पर विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव कराये जाने हैं। उन्होंने बताया कि बैठक में शामिल हुये सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराते हुये समय से चुनाव संपन्न कराने की मांग की है।
उन्हाेंने बताया कि काेरोना संक्रमण के खतरे को ध्यान में रखते हुये आयोग उप्र में स्वतंत्र, निष्पक्ष, प्रलोभन मुक्त और कोरोना सुरक्षित निर्वाचन कराने के लिए प्रतिबद्ध है। चंद्रा ने कहा कि आयोग का यह प्रयास है कि आगामी चुनाव में वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों, महिलाओं और नये मतदाताओं सहित सभी मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित हो। इसके लिये विशेष उपाय भी किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि इसके तहत सभी मतदान केंद्रों और मतदान कर्मियों के लिये कोविड सुरक्षित प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। साथ काेरोना के खतरे से बचने के लिये इस बार मतदान केन्द्रों की संख्या में 11 हजार से अधिक का इजाफा किया गया है। चंद्रा ने बताया कि कोविड के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग मानकों को ध्यान में रखते हुये मतदान केन्द्रों पर भीड़ प्रबंधन के उपाय सुनिश्चित किये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि इसके तहत उप्र के आगामी चुनाव में 1250 मतदाताओं पर एक मतदान केंद्र बनाने का फैसला किया गया है। अब तक एक मतदान केन्द्र पर अधिकतम 1500 मतदाता होते थे। इस प्रकार राज्य में 1 लाख 74 हजार 351 मतदान स्थल स्थापित किए जायेंगे। यह संख्या पिछले चुनावों से 11,020 अधिक है।
चंद्रा ने बताया कि आगामी चुनाव में कोरोना संकट को देखते हुये आयोग ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श किया है| इसके आधार पर स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप नये दिशा निर्देश जारी किये जायेंगे। उन्हाेंने कहा कि गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों एवं राजनीतिक दलों से परामर्श के आधार पर जल्द ही नये दिशा निर्देश जारी करने का निर्णय किया जाएगा|
उन्होंने कहा कि उप्र विधानसभा चुनाव में तैनात होने वाले सभी मतदान कार्मिकों को कारोना वैक्सीन की दोनों खुराक लेना अनिवार्य किया गया है। चंद्रा ने बताया कि आयोग के सुझाव के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी चुनाव कर्मियों को ‘फ्रंट लाइन वर्कर’ का दर्जा देने के निर्देश जारी कर दिए हैं। जिससे चुनाव कर्मियों का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर हो सकेगा। साथ ही चुनाव कर्मियों को बूस्टर डोज भी जरूरत के मुताबिक दिया जायेगा|
उप्र की मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के बाद आये बदलावों की जानकारी देते हुये चंद्रा ने बताया कि ‘विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण 2022’ के अन्तर्गत, आगामी 05 जनवरी को संशोधित निर्वाचक नामावली प्रकाशित की जायेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पांच जनवरी के बाद भी मतदाता सूची में नाम जोड़े या हटाये जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक मतदाता सूची में अपना नाम जोड़ने या हटाने के अलावा अन्य संशोधन संबंधी दावे एवं आपत्तियों दर्ज करा सकेंगे।
चंद्रा ने विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के आधार पर बताया कि उत्तर प्रदेश में अब तक 52.8 लाख नये मतदाता जुड़ गये हैं। इसके साथ ही राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 15.02 करोड़ हाे गयी है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची का अन्तिम प्रकाशन होने पर मतदाताओं की संख्या संबंधी वास्तविक आंकड़े स्पष्ट होंगे।
संशोधित मतदाता सूची के आधार पर उन्होंने उप्र में मतदाताओं के लैंगिक अनुपात के बारे में बताया कि राज्य में 2017 की अपेक्षा महिला मतदाताओं की संख्या प्रति एक हजार पुरुषों की तुलना में पर 29 की बढ़ोतरी हुयी है। चंद्रा ने कहा कि 2017 में उप्र में एक हजार पुरुष मतदाताओं पर 839 महिला मतदाता थीं। अब यह संख्या बढ़कर 868 हो गयी है।
चंद्रा ने पहली बार मतदाता बन रहे 18 से 19 साल के आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या में भी तीन गुना बढ़ोतरी दर्ज किये जाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नये मतदाताओं को जोड़ने संबंधी आयोग के प्रयासों की बदौलत नये मतदाताओं में 18 से 19 साल के आयुवर्ग के मतदाताओं का प्रतिशत 0.51 से बढ़कर 1.32 प्रतिशत हो गया है।
उन्होंने बताया कि महिला मतदाताओं को ध्यान में रखते हुये उप्र में 800 मतदान केन्द्र ऐसे बनाये जायेंगे जिनका संचालन पूरी तरह से महिला चुनाव कर्मियों के हाथ में होगा। चंद्रा ने बताया कि प्रदेश में अब तक लगभग 10.64 लाख दिव्यांग मतदाताओं तथा 80 वर्ष से अधिक आयु के 24.03 लाख मतदाताओं को चिन्हित किया गया है।
उन्होंने कहा कि दिव्यांग एवं बुजुर्ग मतदाताओं की सहूलियत को ध्यान में रखते हुये सभी मतदान केंद्र पूरी तरह से दिव्यांग हितैषी बनाये जायेंगे। जिससे कि वे सहजता से मतदान कर सकें। आयाेग दिव्यांग मतदाताओं को मतदान केन्द्र पर व्हील चेयर मुहैया कराने के अलावा उन्हें मतदान के लिये घर से मतदान केन्द्र तक लाने और वापस घर पहुंचाने के लिये पिक एंड ड्रॉप की सुविधा भी दी जायेगी |
चंद्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोग ने चुनावों में 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग मतदाताओं और कोरोना प्रभावित मतदाताओं को आयोग ने घर बैठे ही ‘पोस्टल बैलेट’ से मतदान करने की सुविधा प्रदान करने की पहल की है।
उन्होंने आश्वस्त किया कि विभिन्न प्रकार की शारीरिक अक्षमता के कारण जो लोग मतदान केन्द्र तक पहुंचने में अक्षम महसूस करेंगे, उन्हें पूरी पारदर्शिता बरतते हुये पोस्टल बैलेट की सुविधा दी जायेगी। चंद्रा ने कहा कि घर बैठे मतदान करने के लिये मतदाताओं को पहले आवेदन करना होगा।
उन्होंने बताया कि कुछ राजनीतिक दलों ने पोस्टल बैलेट की इस सुविधा के बारे में चिंता जाहिर की है। किंतु, उन्हें समूची प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता के बारे में आश्वस्त किया गया है। चंद्रा ने कहा कि पोस्टल बैलेट के आवेदकों की सूची सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जायेगी। साथ ही मतदान कर्मी जब पोस्टल बैलेट की प्रक्रिया पूरी कराने के लिये आवेदक के घर जायेंगे, तब आवेदकों के प्रतिनिधि की मौजूदगी में मतदान की गोपनीयता को ध्यान में रखते हुये प्रक्रिया पूरी की जायेगी और इसकी वीडियोग्राफी की होगी।
चंद्रा ने कहा कि मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में स्थापित कम से कम एक लाख मतदान स्थलों पर वेबकास्टिंग की जायेगी| उन्होंने बताया कि राज्य सरकार से आगामी 31 दिसंबर तक आयोग को कर्मचारियों की स्थानांतरण नीति के पालन की रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। साथ ही सभी संबद्ध एजेंसियों को भी अंतरराज्यीय एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मादक द्रव्य एवं नकदी आदि के मुफ्त वितरण की आवाजाही पर प्रभावी रूप से रोक लगाने को कहा गया है। जिससे चुनावी प्रक्रिया को गैरकानूनी गतिविधियों से दूषित होने से बचाया जा सके।