लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई। इसमें सबसे अहम चर्चा पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर बतायी जा रही है। केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद इस पद पर किसी अन्य नेता को जिम्मेदारी सौंपने की चर्चाएं तेज हैं। इसके अलावा गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट से उपचुनाव को लेकर भी चर्चा की बात कही जा रही है।
भाजपा खुद को पार्टी विथ डिफरेंस कहती आयी है। पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का ही प्रचलन है। इसलिए केशव प्रसाद मौर्य के उपमुख्यमंत्री बनने के साथ ही यह अटकलें शुरू हो गयी थीं कि शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नए चेहरे की तलाश शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पद पर किसी ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं, जिसकी छवि न सिर्फ अच्छी और जुझारू छवि वाले नेता के रूप में हो, बल्कि संगठन में उसकी मजबूत पकड़ हो। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने की क्षमता भी उसमें हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि पार्टी संगठन और सरकार के बीच में बेहतर तालमेल की बदौलत ही वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा दमदार प्रदर्शन कर पायेगी। इसलिए इस दिशा में अभी से काम होना जरूरी है। इसके साथ ही संगठन और सरकार के बीच में अच्छे रिश्तों से जहां टकराव की स्थिति नहीं पैदा होगी, वहीं कार्यकर्ताओं के बीच भी अच्छा सन्देश जायेगा। वहीं अगर गोरखपुर लोकसभा सीट की बात की जाए तो खुद योगी आदित्यनाथ इस सीट से प्रतिनिधित्व करते आये हैं, जबकि इलाहाबाद की फूलपुर केशव प्रसाद मौर्य की सीट है।
इन दोनों ही सीटों पर अब उपचुनाव होना है। ऐसे में सीएम योगी के उपचुनाव को लेकर भी चर्चा की बात की जा रही है। इसके अलावा योगी स्वयं और उप मुख्यमंत्री केशव उच्च सदन जायेंगे या फिर विधानसभा की सीटें रिक्त कराते हुए चुनाव के जरिए सदन में जाना पसन्द करेंगे, इस बात पर भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ विचार-विमर्श हुआ। इन सबके बीच देखा जाए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही लगातार सुर्खियों में हैं। वह सूबे की नौकरशाही के पेंच कसने में जुटे हैं। इसके साथ ही मंत्रियों की मौजूदगी में उनके विभागों का प्रस्तुतिकरण देख रहे हैं, जिससे कार्ययोजना बनाकर विकास को गति दी जा सके।
इसके अलावा औचक निरीक्षण के जरिए भी प्रशासन की सुस्त कार्यप्रणाली को गति देने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, सीएम योगी सरकार के साथ-साथ संगठन को भी 2019 की रणनीति के हिसाब से तैयार करना चाहते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्त्व उनकी रजामन्दी से ही प्रदेश अध्यक्ष के लिए किसी नेता पर अन्तिम निर्णय लेगा। यह चर्चा इसलिए भी हो रही है, क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजनाथ सिंह भाजपा अध्यक्ष थे। इसके बाद जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने और उन्होंने राजनाथ को गृह मंत्री बनाते हुए अपनी मंत्रिमण्डल में शामिल किया। तो राजनाथ ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसे बाद मोदी के करीबी अमित शाह को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी। उत्तर प्रदेश में भी कुछ इसी तर्ज पर योगी के विश्वासपात्र और करीबी को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी जा सकती है।