इंफाल, अपना 16 साला पुराना अनशन खत्म करने के कुछ दिनों बाद मणिपुर की आयरन लेडी इरोम शर्मिला ने आज कहा कि राजनीति में आने के उनके फैसले में कोई बदलाव नहीं आया है और उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य से आफ्सपा हटाने के उनके अभियान में नई शुरूआत होगी। अनशन खत्म कर राजनीति में आने के फैसले के बाद 44 साल की शर्मिला खुद को अचानक से दोस्तों के दूरी बना लेने की स्थिति में पा रही हैं तथा अपने समर्थकों से भी उनको निराशाजनक जवाब मिल रहा है। उनके इस फैसले का सिविल सोसायटी अैनर आम लोगों में स्वागत नहीं हुआ है तथा लोगों ने उनको एक तरह से अलग छोड़ दिया है। परिवार से लेकर करीबी दोस्तों और पड़ोसियों तक से शर्मिला को विरोध का सामना करना पड़ा है तथा कुछ उग्रवादी समूहों ने कथित तौर पर धमकी भी दी है। स्थिति यह है कि शर्मिला को उसी अस्पताल में लौटना पड़ा है जो बीते 16 वर्षों में अनशन के दौरान उनका घर सा हो गया था। इस मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता से जब यह पूछा गया कि क्या राजनीति में आने के उनके फैसला में कोई बदलाव आया है तो उन्होंने कहा, हां, मैं मुख्यमंत्री बनना चाहती हूं। अगर मैं मुख्यमंत्री बनती हूं तो मैं इस बदनाम आफ्सपा को हटा सकती हूं। मणिपुर में विधानईाा चुनाव 2017 में होना है। उन्होंने कहा, अगर लोग मेरा समर्थन नहीं करते, मैं अपने रास्ते चली जाउंगी। इसके साथ ही शर्मिला ने यह भी भरोसा जताया कि चुनावी राजनीति में आने के उनके फैसले को जनता में समर्थन हासिल है। शर्मिला ने इस बात से भी असहमति जताई कि बिना किसी राजनीतिक पार्टी के समर्थन के राजनीति में आना निरर्थक साबित होगा। वह राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने के लिए साल 2000 से संघर्ष करती आ रही है। इसके विरोध में वह 16 वर्षों से अनशन कर रही थीं। उन्होंने कहा, अनशन खत्म करना मेरे आंदोलन का खत्म होना नहीं है। एक नई शुरूआत होगी। शर्मिला ने एक स्थानीय अदालत की ओर से आत्महत्या के प्रयास के मामले में उनको निजी मुचलके पर जमानत दिए जाने के बाद अपना अनशन खत्म किया। उन्होंने कहा, लोग चाहते थे कि मैं अपना अनशन जारी रखूं लेकिन मैंने अनशन खत्म करने का फैसला किया। लोग शायद खुश नहीं हों। यह उनके उपर है। शर्मिला ने कहा कि अगर लोगों का रूख विरोधी बना रहता है तो वह जहां चाहेगी वहां चली जाएंगी।