राज्यसभा में विभिन्न दलों ने न्यायिक अतिक्रमण पर चिंता जतायी

नई दिल्ली,  नेता रामगोपाल यादव ने कहा, न्यायपालिका द्वारा विधायिका के अधिकारों का अतिक्रमण को लेकर सांसद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि संसद ने विधायिका को कानून बनाने एवं बजट पारित करने का अधिकार दिया है। उन्होंने सरकार से मानसून सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा करवाये जाने का सुझाव देते हुए कहा, यदि न्यायपालिका यह करेगी तो हमारी प्रासंगिकता क्या रह जाएगी। यादव ने कहा कि संसदीय सम्मान, सर्वोच्चता एवं क्षमता को बरकरार रखना चाहिए।
 नेता रामगोपाल यादव ने कहा, न्यायपालिका द्वारा विधायिका के अधिकारों का अतिक्रमण को लेकर सांसद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि संसद ने विधायिका को कानून बनाने एवं बजट पारित करने का अधिकार दिया है। उन्होंने सरकार से मानसून सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा करवाये जाने का सुझाव देते हुए कहा, यदि न्यायपालिका यह करेगी तो हमारी प्रासंगिकता क्या रह जाएगी। यादव ने कहा कि संसदीय सम्मान, सर्वोच्चता एवं क्षमता को बरकरार रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संविधान ने स्पष्ट सीमाएं खींची हैं।उन्होंने कहा कि कुछ लोग राज्यसभा को दूसरा सदन नहीं बताकर दूसरे दर्जे का सदन बताते हैं किन्तु वास्तविकता यह नहीं है। इस सदन की विधायिका में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सपा नेता की बात का समर्थन करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, हमें मिलकर काम करना चाहिए विशेषकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर तथा राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठना चाहिए। मायावती ने कहा कि हमें अपने भीतर देखना चाहिए कि न्यायपालिका क्यों फायदा उठा रही है।
जेटली ने कहा कि कानून बनाने और बजट तैयार करने का काम संसद का है और इस अधिकार के यहां से निकल जाने पर लोकतंत्र प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अभी नहीं तो आगे चलकर विचार करने की जरूरत पड़ेगी। सदस्यों को विदाई देते हुए कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने चर्चा के स्तर को ऊंचा उठाने एवं प्रमुख विधेयकों की विसंगतियों को दुरूस्त करने में उच्च सदन द्वारा निभायी गयी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि बाहर यह गलत छवि बनायी गयी कि राज्यसभा में कोई काम नहीं होता। उन्होंने कहा कि अड़चन उत्पन्न करना तथा नीतियों एवं कार्यक्रमों पर अपनी आपत्तियां व्यक्त करना लोकतंत्र का हिस्सा है।
 
				 
					




