नई दिल्ली, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती वर्ष में देश के करीब 50 युवा लेखक गांधी के जीवन सन्देश और उनके योगदान पर विचार-विमर्श करेंगे और उनके मूल्यों और आदर्शों को अपने लेखन में आत्मसात करेंगे।
रजा फाउंडेशन ने 11 और 12 अक्टूबर को इन लेखकों का पहला सम्मेलन राजधानी में आयोजित किया है जिसमे गांधी की तीन किताबों के माध्यम से उन पर यह चर्चा केंद्रित होगी।
प्रख्यात संस्कृति कर्मी एवं रजा फाउंडेशन के प्रमुख अशोक वाजपेयी ने यूनीवार्ता को बताया कि नई पीढ़ी में गांधी को लेकर कैसी उत्सुकता है और उनका क्या नज़रिया है यह जानने के लिए देश के युवा लेखकों का यह सम्मेलन आयोजित किया गया है। इतनी बड़ी संख्या में लेखक पहली बार गांधी पर विचार-विमर्श करेंगे। शायद आज तक कभी इतनी संख्या में युवा लेखकों ने कभी एक साथ गांधी पर विमर्श नही किया है। इसमे गांधी जी की आत्मकथा ,सत्य के साथ मेरे प्रयोग, हिन्द स्वराज और गांधी जी प्रार्थना पर तीन सत्रों में ये युवा लेखक बातचीत करेंगे। सम्मेलन में कोलकत्ता, मुम्बई, बेंगलुरु, पटना, सूरत, समस्तीपुर, वाराणसी, रायपुर, चंडीगढ़ आदि शहरों से ये लेखक भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि वह पिछले एक साल से हर माह गांधी जी पर किसी प्रसिद्ध इतिहासकार, समाजविज्ञानी, लेखक और गांधीवादी के व्यायाख्यान आयोजित कर रहे है। अब तक तेरह व्यायाख्यान हो चुके है। पहला उद्घटान व्यायाख्यान जाने माने समाजशास्त्री आशीष नंदी ने दिया था। अमरीका के मशहूर गांधीवादी लेखक जेम्स डब्लू डगलस भी भाषण दे चुके है। पिछले दिनों गुलाम मोहम्मद शेख जैसे तीन चित्रकारों ने गांधी पर भाषण दिए और अब रंगकर्मी भी गाँधी पर व्याख्यान देंगे। अगले माह चेक्सलोवाकिया गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति एवं विश्व प्रसिद्ध लेखक वकलाव हावेल गांधी पर व्याख्यान देंगे। इस श्रृंखला को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है और इसे अगले साल भी जारी रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि आज गांधी पर अपने ही देश मे इतने हमले किये जा रहे है और यह हम सब के लिए गहरी चिंता की बात है। गत 2 अक्टूबर को ट्वीटर पर ‘गोडसे अमर रहे’ ट्रेंड कर रहा था। क्या यह गांधी का अपमान नही है? उन्होंने बताया कि रजा फाउंडेशन ने गांधी जी पर दो महत्वपूर्ण किताबें छापी हैं और इन व्याख्यानों पर भी भविष्य में पुस्तक निकाला जाएगा।