लखनऊ, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती अपने 61वें जन्मदिन पर भारतीय जनता पार्टी और केन्द्र सरकार पर बेहद आक्रामक नजर आईं। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अभी तक अपने एक वायदा का एक चौथाई भी पूरा नहीं किया है। जिसके कारण यूपी की 22 करोड़ जनता में भाजपा के खिलाफ नाराजगी और आक्रोष है।
उन्होंने नोटबन्दी को एक बार फिर अपरिपक्व और बेहद जल्दबाजी में लिया फैसला बताते हुए कहा कि इससे देश के 90 प्रतिशत मेहनतकश लोग प्रभावित हुए और अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं। भाजपा को विरोधियों पर आरोप लगाने का नैतिक आधार नहीं बसपा मुखिया ने कहा कि इसके विपरीत भाजपा के नेताओं और उनके करीबी धन्ना सेठों का धन पहले ही ठिकाने लगाने की चर्चा है।
मायावती ने वहीं उनकी पार्टी में रुटीन के तहत नियमानुसार जमा किए गए धन को भी सोची समझी राजनीति के तहत मीडिया में ऐसा उजागर कराया जैसे हमारा धन कालाधन हो। उन्होंने कहा कि जबकि खुद को हरिश्चन्द्र और दूध का धूला कहने वाली बीजेपी एण्ड कम्पनी ने अपना खुलासा नहीं किया। उन्होंने कहा कि इसलिए इन्हें अपने विरोधियों और उनके परिजनों पर आरोप, टिप्पणी का नैतिक अधिकार नहीं है। मायावती ने कहा कि अगर भाजपा के लोगों को मेरे परिवार के सदस्यों के छोटे-मोटे कारोबार पर गड़बड़ी नजर आ रही थी, तो वह अपने शासन में अभी तक क्या कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चुनाव की वजह से ही जानबूझकर उन्हें कमियां नजर आईं। मायावती ने कहा कि यह जातिवादी मानसिकता नहीं है तो क्या है। उन्होंने कहा कि हालांकि इससे हमारी पार्टी को नुकसान नहीं फायदा हो रहा है। जब-जब बसपा की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई है, हम उतना मजबूत हुए हैं।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि नोटबन्दी के 50 दिन बाद भी प्रधानमंत्री यह नहीं बता पा रहे है कि कितना काला धन पकड़ा गया, कितनी जाली करेंसी जलाई गई, कितने भ्रष्ट लोग पकड़े गए। उन्होंने कहा कि आज हालत यह है कि भाजपा के राजनैतिक स्वार्थ के कारण पूरे देश की जनता मोदी जी के बोलने से पहले सहम जाती है। उन्होंने सीमा पर जवानों के शहीद होने को लेकर भी केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। बसपा मुखिया ने कहा कि इसके साथ हीव र्ष 2015 में आठ हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार ने पूंजीपतियों का एक लाख 14 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया।
उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला काण्ड, दयाशंकर काण्ड को भी बसपा के कार्यकर्ता नहीं भुला सकते, जबकि हमारी सरकार ने हमेशा सब का ख्याल रखा। बसपा मुखिया ने अपने जन्मदिन को लेकर कहा कि यह समाजवादी पार्टी (सपा) की तरह शाही अंदाज में नहीं मनाया जाता है और ना ही इसमें जनता का धन खर्च किया जाता है। यह दलित सन्तों और कांशीराम के मूवमेंट के आधार पर जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत सादगी से मनाया जा रहा है। मैंने अपना पूरा जीवन इस मूवमेंट के लिए दिया। उन्होंने कहा कि आचार संहिता का पालन करते हुए और नोटबन्दी की मार के चलते कार्यकर्ता चुनावी राज्यो में लोगों की आर्थिक मदद नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां आचार संहिता नहीं है वहां के कार्यकर्ता गरीबों और जरूरतमन्दों की आर्थिक मदद करें।