नई दिल्ली, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भोज को ठुकरा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित भोज में शामिल हुए। भोजन के बाद नीतीश ने पीएम मोदी से अलग से मुलाकात की। राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि मुलाकात के बाद नीतीश ने कहा कि राजनीतिक मायने न निकाले जाएं। नीतीश ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से बिहार में बाढ़ की समस्या, विशेष राज्य के दर्जा समेत राज्य से जुड़े मसलों पर चर्चा की और केंद्र से सहयोग मांगा।
देखिये, सहारनपुर जाने की इजाजत न मिलने पर, क्या बोले अखिलेश यादव ?
नीतीश ने कहा कि 10 दिन में मॉनसून आने के बाद बिहार को बाढ़ की गंभीर समस्या से जूझना पड़ेगा। इसके चलते उन्होंने प्रधानमंत्री से बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय टीम को बिहार भेजने का अनुरोध किया, जिसे पीएमओ ने स्वीकार कर लिया है। लालू परिवार पर लग रहे गंभीर आरोपों पर नीतीश ने साफ किया कि वह आरोप-प्रत्यारोपों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
जानिये, मोदी के संसदीय क्षेत्र में, क्यों लगे योगी गो बैक के नारे ?
सोनिया गांधी की बुलाई बैठक में न शामिल होने पर उन्होंने फिर सफाई दी कि वह पूर्व में ही 20 अप्रैल को ही कांग्रेस अध्यक्ष से मिलकर जरूरी मुद्दों पर चर्चा कर चुके हैं। पीएम मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में शनिवार को भोज का आयोजन किया था जिसमें नीतीश कुमार को भी बुलावा भेजा गया था। नीतीश की सफाई के बावजूद पीएम मोदी के लंच में उनके शामिल होने को सियासी लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। बिहार में जेडीयू और आरजेडी के बीच तल्खी की अटकलें भी लग रही हैं।
पूर्व बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बनाई नई पार्टी, देखिये किनको मिली जिम्मेदारी
उल्लेखनीय है कि जेडीयू ने भाजपा से 2013 में गठबंधन तोड़ लिया था। भाजपा की ओर से मोदी को पीएम कैंडिडेट बनाए जाने को वजह बताकर जेडीयू ने यह कदम उठाया था। बीच-बीच में नीतीश मोदी के खिलाफ बयान देते रहे। हालांकि, पिछले साल नवंबर में उनके बर्ताव में बड़ा बदलाव उस वक्त नजर आया, जब नोटबंदी के फैसले पर सारी विपक्षी पार्टियों के रुख के उलट उन्होंने मोदी के इस कदम की सराहना की। वहीं, पीएम मोदी का रुख भी कुछ बदला नजर आया, जब उन्होंने बिहार में शराबबंदी लागू करने के लिए नीतीश की जमकर तारीफ की। हाल ही में उन्होंने नीतीश कुमार को उनके जन्मदिन पर ट्विटर पर बधाई भी दी। जानकार मानते हैं कि लालू के दबाव को काउंटर करने के लिए नीतीश ने यह रणनीति अपनाई है।