लोकसभा में उठा यूपी के शिक्षा प्रेरकों का मुद्दा, मानदेय बढाने की मांग
August 10, 2016
नई दिल्ली, लोकसभा में भाजपा के एक सदस्य ने उत्तरप्रदेश में शिक्षा प्रेरकों की बदहाल स्थिति का मुद्दा उठाया और उनका मानदेय दो हजार रूपए से बढ़ाकर चार हजार रूपये प्रतिमाह करने की मांग की। शून्यकाल में भाजपा के कीर्तिवर्द्धन सिंह ने कहा कि उनके क्षेत्र गोंडा समेत उत्तर प्रदेश में शिक्षा प्रेरकों की स्थिति काफी दयनीय है। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के लक्ष्य 11वीं पंचवर्षीय योजना में पूरे नहीं होने पर 12वीं पंचवर्षीय योजना में इसे जारी रखा गया। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रेरकों को आज 2000 रूपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है लेकिन उनसे कई काम लिये जाते हैं, उनके उपर कई जिम्मेदारियां लादी गई हैं।
सिंह ने कहा कि शिक्षा प्रेरकों को पढ़ाने के अलावा स्वयंसेवक तैयार करने और लोगों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने का काम दिया गया है। इसके अलावा बीपीएल सर्वे करने, मतदाता सूची की समीक्षा करने, स्वास्थ्य सर्वेक्षण करने जैसे कार्य भी शिक्षा प्रेरकों के जिम्मे होते हंै। भाजपा सदस्य ने कहा कि पिछले छह माह से शिक्षा प्रेरकों को वेतन नहीं मिला है। हम मांग करते हैं कि शिक्षा प्रेरकों के वेतन या मनदेय को दो हजार रूपये से बढ़ाकर चार हजार रूपये प्रतिमाह किया जाए और उनके बकाये का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए। माकपा के मोहम्मद सलीम ने कॉरपोरेट फ्रॉड का विषय उठाते हुए कहा कि देश में सीबीआई, ईडी, सेबी समेत कई एसेंसियां हैं, कॉरपोरेट धोखाधड़ी को रोकने के लिए कानून है, लॉ बोर्ड हैं लेकिन फिर भी देश में सैकड़ों कंपनियां सरकार को चूना लगा रही हंै। इस पर लगाम लगाने के लिए ठोस कार्रवाई की जाए।