वाशिंगटन, अमेरिका में एक विश्वविद्यालय के अध्ययन के मुताबिक कॉफी या बीयर पीने की हमारी प्राथमिकता इन पेय पदार्थों के स्वाद पर आधारित नहीं होती बल्कि इन्हें पीने से हम कैसा महसूस करते हैं, यह इस बार पर निर्भर करता है। अमेरिका में नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय से वैज्ञानिकों ने हमारे स्वाद लिये जिम्मेदार जीन में विविधता की तलाश की, जिससे कि पेय पदार्थों को पीने की हमारी प्राथमिकता का पता चल सके क्योंकि इन्हें समझने के बाद ही लोगों के खान-पान में फेरबदल के तरीके को समझने में मदद मिल सकती है। उन्होंने ब्रिटेन के बायोबैंक में 3,36,000 लोगों को परोसे गये कड़वे और मीठे स्वाद वाले पेय पदार्थों की संख्या की गणना की।
शोधकर्ताओं ने कड़वे और मीठे स्वाद वाले पेय पदार्थों के सेवन पर उनके जीन आधारित संबंध का अध्ययन किया। यह अध्ययन ‘ह्यूमन मॉलेक्यूलर जेनेटिक्स’ में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन से यह पता चलता है कि कड़वे या मीठे स्वाद वाले पेय पदार्थों की हमारी प्राथमिकता हमारे स्वाद के लिये जिम्मेदार जीन में विविधता के कारण नहीं बल्कि इन पेय पदार्थों को लेकर मनोवैज्ञानिक सक्रियता पैदा करने वाले जीन पर आधारित होती है।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन में सहायक प्रोफेसर मर्लिन कोर्नेलिस ने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता को रेखांकित करने वाली आनुवंशिकी ऐसे पेय पदार्थों को लेकर हमारे मनोविज्ञान को सक्रिय करने वाले घटक से संबंधित होती है।’’ कोनेर्लिस ने एक बयान में कहा, ‘‘कॉफी और शराब पीने के बाद लोग जैसा महसूस करते हैं, उसे वे उसी रूप में पसंद करते हैं। इसलिए लोग इन पेय पदार्थों को पीते हैं। यह स्वाद की वजह से नहीं है।’’