चेन्नई, भले कांग्रेस में इन दिनों पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी काफी सक्रिय हो गए हों लेकिन फिर पार्टी के अंदर बेचैनी आज भी दिख रही है। सोनिया गांधी खराब सेहत के चलते इन दिनों पार्टी से दूरी बनाए हुए हैं और पांचों राज्यों में चुनावों का सारा कार्यभार राहुल गांधी ने उठाया हुआ है। वहीं कई बड़े नेता राहुल के काम से खुश नहीं हैं, ऐसी खबरें पिछले दिनों मीडिया में दिखने को मिली थीं। वहीं अब पार्टी के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने सोमवार को संकेत दिया कि देश में नई पार्टी के लिए काफी गुंजाइश है। कार्ति का कहना था कि मौजूदा सियासी पार्टियों में से ज्यादातर पर परिवारों का वर्चस्व हो गया है और उनके दरवाजे नई पीढ़ी के नेताओं के लिए बंद हैं।
चेन्नई में द्रविड़ शासन की 50वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए कीर्ति ने यह सारी बातें कहीं। कार्यक्रम का आयोजन जेनेरेशन-67 (जी-67) नाम के संगठन ने किया था। कीर्ति चिदंबरम इस संगठन के संस्थापक हैं। कार्ति ने कहा कि कांग्रेस समेत ज्यादातर पार्टियां कुछ परिवारों की निजी संपति बन चुकी हैं और इनमें अब सुधार नहीं हो सकता। राजनीति में आने वाले नए लोग इन पार्टियों में फिट नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें दूसरे नेताओं की चाटुकारिता करनी होगी। उन्होंने पूछा कि क्या किसी पार्टी ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई या आईआईटी के होनहार छात्रों को चुनाव लड़ने का न्योता दिया है? कीर्ति ने इस मौके पर साफ किया कि जी-67 सियासी पार्टी में तब्दील नहीं होगा। हालांकि साथ ही ये भी जोड़ा कि भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। उनके मुताबिक, अगर डोनाल्ड ट्रंप इतने कम वक्त में अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं तो तमिलनाडु में भी कुछ भी मुमकिन है। क्या किसी ने सोचा था कि जयललिता यूं चल बसेंगी और पन्नीरसेल्वम को पार्टी से निकाल दिया जाएगा? या फिर शशिकला जैसी ताकतवर महिला सलाखों के पीछे होंगी? इसलिए कुछ भी हो सकता है और हम कयास नहीं लगा सकते कि जी-67 का क्या होगा। कीर्ति के इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद वे अपनी अलग पार्टी बनाने की तैयारी कर रहे हैं।