वाराणसी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गुरुवार को यहां आयोजित एक जनसभा में विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधते हुये कहा कि विरोधी दलों को राज्य की ‘डबल इंजन’ सरकार के ‘डबल विकास’ से बुरा लग रहा है।
मोदी ने वाराणसी में बनास डेयरी संकुल और एकीकृत आयुष चिकित्सालय सहित विभिन्न विकास परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह में कहा कि विपक्षी दल उत्तर प्रदेश को सिर्फ जाति और मजहब के नजरिये से ही देखते हैं। उन्होंने किसी दल या नेता का नाम लिये बिना कहा, “काशी व यूपी के विकास में जब डबल इंजन सरकार की डबल शक्ति की मैं बात करता हूं तो कुछ लोगों को कष्ट हो जाता है। वो लोग यूपी को सिर्फ जाति, मजहब और पंथ के चश्मे से ही देखते हैं।”
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार प्रदेश का डबल विकास कर रही है। लेकिन, वोटबैंक की राजनीति करने वालों को इससे विशेष बुरा लग रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश में वर्तमान और अतीत की तुलना करते हुये कहा, “पिछली सरकारों में उप्र को जो मिला और आज उप्र के लोगों को भाजपा सरकार से जो मिल रहा है, उसका फर्क साफ है।”
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार उप्र में विरासत को संजोते हुये विकास कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उप्र में योगी सरकार ने गांव व किसान को अवैध कब्जों की चिंता से मुक्त करते हुये उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। इस काम में स्वामित्व योजना की बड़ी भूमिका है।
गौरतलब है कि इस अवसर पर मोदी ने स्वामित्व योजन के तहत उत्तर प्रदेश के 20 लाख परिवारों को संपत्ति का ऑनलाइन मालिकाना हक जारी किया। इस योजना के लाभार्थियों में करीब 35 हजार परिवार वाराणसी के भी शामिल हैं।
मोदी ने विपक्षी दलों पर हमला जारी रखते हुये कहा कि जिन लोगों को उत्तर प्रदेश में डबल इंजन का विकास रास नहीं आ रहा है उनके शब्दकोश में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास जैसे शब्द शामिल ही नहीं हो सके हैं। उन्होंने कहा, “यह भाषा उनके सिलेबस से बाहर है। उनके सिलेबस में है, माफियावाद, परिवारवाद और घर व जमीन पर अवैध कब्जा।”
इससे पहले मोदी ने पशुपालन और पशुधन के महत्व पर भी पिछली सरकारों में ध्यान नहीं दिये जाने के लिये विपक्षी दलों को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है, लेकिन हमारे लिए मां है, पूजनीय है। गाय भैंस का मजाक उड़ाने वाले यह भूल जाते हैं कि देश की एक बड़ी आबादी की आजीविका इनसे चलती है।”