नई दिल्ली, एक सदी से अधिक बीत जाने के बाद भी विवादित ढांचा मामला नए मोड़ अख्तियार करता जा रहा है, जानें-कब हुई थी इस विवाद की शुरुआत। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले को एक सदी से अधिक का समय बीत गया। विवादित बाबरी मस्जिद मामले के संबंध में पहली बार 1885 में मामला दर्ज हुआ था इसके बाद तो सिलसिला जारी हो गया जो अब तक चलता आ रहा है।
-सबसे पहले 1949 में ही रामलला की मूर्तियों को गोपनीय तरीके से बाबरी मस्जिद के गुंबद के नीचे रखा गया।
-इसके बाद 1950 में गोपाल शिमला विशारद ने फैजाबाद में रामलला की पूजा की अपील के साथ पहला मुकदमा दर्ज किया।
-1950 में ही महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को ढांचा नाम दिया गया।
-1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरा मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें विवादित ढांचे के हस्तांतरण के लिए आदेश की मांग की गयी।
-यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 1961 में अधिकार की घोषणा के लिए चौथा मुकदमा दर्ज कराया और 1989 में रामलला के विराजमान होने और अधिकार के लिए मुकदमा दर्ज किया गया।
-1885 में महंत रघुबीर दास को बाबरी मस्जिद के बाहरी प्रांगण में मंदिर बनाने की अनुमति नहीं दी गयी।
-1984 में विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। एक समिति का गठन किया गया।
-1986 में फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।
-1989 के जून में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन बढ़ावा दिया।
-1 जुलाई 1989 को भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया और लंबित चार मुकदमों को इलाहाबाद हाइकोर्ट भेजा गया।
-1990 में भाजपा अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए।
-इसी साल नवंबर में आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया।
-1991 में उत्तर प्रदेश सरकार ने राम लला के दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए इस विवादित ढांचे के आस-पास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया।
-6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए. सीबीआई ने कोर्ट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलने की मांग की थी।
-16 दिसंबर, 1992 को मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।
-बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की गयी। क्राइम संख्या 197-कारसेवकों द्वारा मस्जिद का विध्वंस क्राइम संख्या 198-विध्वंस के पहले सांप्रदायिक भाषण देने के आरोप में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार समेत 13 भाजपा नेताओं के नाम दर्ज किए गए।
-1993 में सरकार ने क्षेत्र के आसपास की 67 एकड़ जमीनें ले लीं और सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि क्या बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले वहां हिंदुओं का पूजास्थल था।
-1993 के अक्टूबर में सीबीआई ने कंपोजिट चार्जशीट दायर की और आडवाणी व भाजपा के अन्य नेताओं पर साजिश का आरोप दर्ज किया।
-1994 में मामला वापस इलाहाबाद के लखनऊ बेंच को भेज दिया गया और 1996 में मुकदमे की फिर से सुनवाई हुई।
-4 मई 2001 को स्पेशल जज एसके शुक्ला ने आडवाणी और कल्याण सिंह समेत 13 अभियुक्तों के खिलाफ साजिश के आरोप को खारिज किया।
-जस्टिस शुक्ला ने क्राइम 197 और 198 को अलग-अलग किया।
-20 मई 2010 को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए आडवाणी व अन्य को साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया।
-30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या स्थल का दो तिहाई हिस्सा हिंदुओं को और एक तिहाई वक्फ बोर्ड को सौंप दिया। –
-9 मई 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दिया।
-25 दिसंबर 2014 को बाबरी मस्जिद मामले पर मुकदमा करने वाले सबसे पुराने शख्स का निधन हो गया। 1949 में बाबरी मस्जिद केस में मुस्लिम समुदाय की ओर से सात प्रमुख मुकदमा करने वालों में से एक अयोध्या निवासी मोहम्मद फारूक थे।
-6 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि साजिश के आरोपों को फिर से लाया जा सकता है और क्राइम संख्या 197 और 198 के ज्वाइंट ट्रायल का आदेश दिया।
-21 मार्च 2017 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की। चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा कि अगर दोनों पक्ष राजी हों तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं और कहा-बेहतर होगा कि इसको दोनों पक्ष आपसी बातचीत से सुलझाएं।
-6 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि आडवाणी समेत भाजपा के 13 नेताओं के खिलाफ बाबरी मस्जिद विध्वंस संबंधित ट्रायल को रायबरेली से लखनऊ में तबादला हेतु यह आर्टिकल 142 के तहत यह संविधान के अतिरिक्त ताकतों का उपयोग करेगी जहां सीबीआई कोर्ट लाखों अंजान कारसेवकों के खिलाफ साजिश व गंभीर आपराधिक आरोपों की सुनवाई कर रही है।
-20 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी समेत भाजपा के 13 नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोपों को स्वीकृत किया और इनके खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।