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वृन्दावन की विधवा माताओं ने मनाई अनूठी दीपावली

मथुरा,  जीवन के अंधकार से मुक्ति के लिए वृंदावन में रहने वाली विधवा माताओं ने मंगलवार शाम वृंदावन के ऐतिहासिक केसी घाट पर यमुना नदी के तट पर दीप जलाकर दीपावली मनाई।
पश्चिम बंगाल की 60 वर्षीय अशोकारानी, और 71 वर्षीय छवि के लिए यह सुखद अनुभूति थी तो 68 वर्षीय बिहार से आई रतनी और 75 वर्षीय पुष्पा अधिकारी ने तो कभी सपने में यह सोंचा नही था कि साधारण महिलाओं की तरह वे भी दीपावली का त्योहार मना सकेंगी।

आज के इस अनूठे कार्यक्रम के लिए माँ शारदा आश्रम, तरास मंदिर, नेपाली आश्रम और पागल बाबा आश्रम में रहनेवाली विधवा माताओं ने घाट को मिल कर सजाया। विधवा माताओं ने केसी घाट को नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया था और अंधेरा होते ही जैसे ही हजारों प्रज्वलित दीपक घाट के किनारे लगाए गए, उसकी परछाईं यमुना में पड़ने पर यमुना का नजारा आकाश में झिलमिल कर रहे तारों की तरह लगने लगा। जहां अधेड़ या उससे कुछ अधिक आयु की विधवा माताओं ने बढ़चढ़कर सजावट व दीप प्रज्वलित करने में भाग लिया वहीं अधिक आयु की विधवा माताओं ने इस अवसर पर राधारानी के धार्मिक भजनों को प्रस्तुत कर वातावरण को राधामय कर दिया। सभी दीपकों के प्रज्वलन के बाद उपस्थित जनसमुदाय काफी देर तक तालियां बजाता रहा।

होप फाउन्डेशन की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा ने बताया कि आज के इस कार्यक्रम के लिए सामग्री उनके संगठन द्वारा उपलब्ध कराई गई थी जबकि सजावट आदि का कार्य विधवा माताओं ने बड़े करीने से किया।

सामान्यतया चाहे बंगाल हो या बिहार अथवा उत्तर प्रदेश सभी जगह विधवा माताओं पर इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने पर प्रतिबंध रहता है जिससे अधिकांश विधवा माताएं कुठा से ग्रसित रहती हैं और नीरस जीवन बिताने को मजबूर होती हैं। विनीता वर्मा के अनुसार विधवा माताओं के जीवन में खुशी की एक किरण लाने और विधवापन की परंपरा का मुकाबला करने के उद्देश्य से, सुलभ आंदोलन के संस्थापक, प्रसिद्ध समाज सुधारक स्वर्गीय डॉ बिंदेश्वर पाठक, ने एक दशक से अधिक समय पहले विधवा माताओं के लिए दीपावली और होली का त्योहार मनाने की शुरूवात की थी। तभी से वृन्दावन की माताएं इन दो प्रमुख त्योहारों को वृन्दावन में विशेष रूप से मनाती हैं।

सुलभ 2012 से वृंदावन और वाराणसी में विभिन्न आश्रमों में रहने वाली सैकड़ों विधवाओं की देखभाल करता है। सुलभ होप फाउंडेशन की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा कहती हैं, नियमित आधार पर, सुलभ उन्हें अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के अलावा चिकित्सा सुविधा और व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान करता है, ताकि वे अपने जीवन के धुंधले पड़ाव से बाहर निकलकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।