गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुुर की तस्वीर और तकदीर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के सात साल बाद काफी हद तक बदल चुकी है और इस बदलाव में सबसे बड़ा योगदान यहां हुए और हो रहे शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का है।
किसी भी क्षेत्र को समग्र विकास की प्रक्रिया से जोड़ने के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर का होना अपरिहार्य है। बीते छह वर्षों से सतत हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने गोरखपुर को नजीर पेश करने वाले शहरों की कतार में खड़ा कर दिया है। एक नजर देखने से गोरखपुर के हर तरफ बुनियादी सुविधाओं का संजाल दिखता है पर यह संजाल सिर्फ झांकी है। वर्तमान में भी करीब दस हजार करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर काम जारी है।
एक लंबे दौर तक गोरखपुर की पहचान बदहाली, टूटी सड़कों, लचर विद्युत आपूर्ति और अन्य अनेक समस्याओं से जोड़कर बनती थी। खराब रोड कनेक्टिविटी के कारण जीवन को सुगमता के साथ ही उद्योग और व्यापार पर बुरा असर पड़ता था।
मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सबसे अधिक ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर ही दिया। इसका नतीजा है कि गोरखपुर शहर के बाहरी हिस्से की सभी सड़कें और शहर के अंदर भी प्रमुख मार्ग फोरलेन हो चुके हैं। सड़कों के साथ चौराहों का भी चौड़ीकरण हुआ। इससे आवगमन सुगमता तो बढ़ी ही और अन्य क्षेत्रों के लोगों का भी गोरखपुर के प्रति रुझान बढ़ा।
वर्तमान में गोरखपुर से लखनऊ, वाराणसी, बिहार, नेपाल तक जाने के लिए फोरलेन की कनेक्टिविटी है। इससे आवासीय आवश्यकताओं की मांग में इजाफा होने के साथ औद्योगिक निवेश की बयार लगातार बह रही है।