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शिक्षा का अभिन्न अंग बने सामुदायिक सेवा- सायना नेहवाल

नई दिल्ली,  विश्व की पूर्व नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी और 2012 के लंदन ओलंपिक की कांस्य विजेता सायना नेहवाल का कहना है कि सामुदायिक सेवा शिक्षा का अभिन्न अंग होना चाहिए। बच्चों का पाठ्यक्रम के अलावा अन्य गतिविधियों में भी शामिल होना जरूरी है साइना ने यह बात सामुदायिक सेवा के लिए दिए जाने वाले सातवें प्रामेरिका स्पिरिट ऑफ कम्युनिटी अवार्ड्स के दौरान कही। उन्होंने बच्चों को समाज की भलाई में योगदान देने के लिए पुरस्कार भेंट किया।

सायना ने डीएचएफएल प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा आयोजित इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में कहा, समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए युवा स्वयंसेवक जिस तरह का काम कर रहे हैं, वह बहुत प्रभावशाली है और मुझे इस बात की खुशी है कि इनके प्रयासों को सामने लाने के लिए प्रामेरिका स्पिरिट ऑफ कम्युनिटी अवार्ड्स जैसा मंच है। उन्होंने कहा, खेल की पृष्ठभूमि से आने के कारण मेरा मानना है कि स्वस्थ विकास के लिए बच्चों का पाठ्यक्रम के अलावा अन्य गतिविधियों में भी शामिल होना जरूरी है और इसे खेल और कला तक ही सीमित नहीं होना चहिए।

साइना ने कहा, सामुदायिक सेवा शिक्षा का एक अभिन्न अंग होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्वयंसेवी के रूप में काम करने और जिस समुदाय में वे रह रहे हैं, उसके लिए अर्थपूर्ण रूप से योगदान देने के लिए प्रेरित करना चाहिए। पुरस्कार की दौड़ में 28 स्कूलों के छात्र-छात्राएं शामिल हुए। पुरस्कार दो श्रेणियों में सामूहिक रूप से सामुदायिक सेवा करने के लिए और व्यक्तिगत रूप से सामुदायिक सेवा करने के लिए प्रदान किए गए। गुरुग्राम में सेक्टर-46 में स्थित एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के गुरसिमरन सिंह और माल्या इंटरनेशनल स्कूल, बंगलुरु के मिहिर मनोज मेंदा व्यक्तिगत रूप से इस पुरस्कार के राष्ट्रीय विजेता बने।

गुरसिमरन ने नेत्रहीनों के पढ़ने के दौरान आनंद का अनुभव लेने के लिए एक सहायक उपकरण बनाया। उपकरण उन्हें पढ़ने के दौरान मानसिक रूप से चित्र बनाने के लिए अलग माहौल का अहसास कराता है। वहीं मिहिर ने अर्बनअप नाम से शहरों में रहने वाले गरीबों को कम लागत में घर मुहैया कराने के पहल की शुरुआत की है। उनकी पहली परियोजना बंगलुरु में है, जहां 126 घर सौंपे जाने के लिए तैयार हैं। दोनों को पुरस्कार के तौर पर 50,000 रुपये की नकद राशि दी गई और उन्हें वाशिंगटन डी.सी. की यात्रा करने का मौका मिलेगा, जहां वे इसी पुरस्कार के विजेता जापान, ब्राजील, चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और आयरलैंड के बच्चों के सामने भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

समूह में तिरुवरुर  के पंचायत मिडिल स्कूल के की छात्रा माधवी सी. और उनके मित्रों ने यह पुरस्कार अपने नाम किया। ये बच्चे रेलवे गेट बंद होते समय पटरियों को पार करके दुर्घटना का शिकार होने से लोगों को बचाने के लिए अपने गांव में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को सजग बना रहे हैं। इन्हें पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपये की नकद राशि दी गई। समारोह में बच्चों को संबोधित करते हुए डीएचएफएल प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के सीईओ व एमडी अनूप पैबी ने कहा, प्रामेरिका स्पिरिट ऑफ कम्युनिटी अवार्ड्स आप जैसे युवा स्वंयसेवकों की पहचान करने, उन्हें पहचान दिलाने और अन्य युवाओं को इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से बनाया गया है।

विजेताओं का चयन एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल द्वारा किया गया, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार व लेखक, माधवन नारायण, गूंज एनजीओ की सह-संस्थापक मीनाक्षी गुप्ता, जानी-मानी पेंटर व कत्थक नृत्यांगना श्रुति गुप्ता चंद्रा, एक्सेंचर  के प्रबंध निदेशक  विश्वेश प्रभाकर और कुटुंब फाउंडेशन के अध्यक्ष व संस्थापक कपिल शर्मा शामिल हुए। पैबी ने उम्मीद जताई है कि इन बच्चों से समाज के अन्य लोगों को समाजसेवा से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी। वहीं सायना ने कहा कि उन्हें इस समारोह का हिस्सा बनकर खुशी महसूस हो रही है और इन बच्चों पर उन्हें गर्व है।

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