नयी दिल्ली , उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पक्ष में खुलकर सामने आने के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी; के बीच चुनावी गठबंधन के अासार बढ़ गये हैं ।
दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कल यह बयान देकर सियासी हलचल तेज कर दी कि उत्तर प्रदेश में यदि सपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन हो जाता है तो वह श्री अखिलेश यादव के लिए मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी छोड़ने को तैयार हैं। हालांकि उन्होंने इस बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी या पार्टी के किसी अन्य वरिष्ठ नेता से इस सम्बन्ध में बातचीत होने से इन्कार किया । इससे पहले अखिलेश यादव पिछले माह यह बयान दे चुके हैं कि यदि सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो जाता है तो उसे विधानसभा की 403 सीटों में से 300 से अधिक सीटों पर जीत हासिल होगी ।
श्री अखिलेश यादव के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत की चर्चा आम हो गयी थी लेकिन हाल में सपा में वर्चस्व को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया। सपा नेता श्री मुलायम सिंह यादव और बेटे श्री अखिलेश यादव के अलग.अलग गुट बन गये और दोनों के बीच समझौते के आसार कम नजर आ रहे हैं । इस टकराव में श्री अखिलेश यादव का पलड़ा भारी लग रहा है। सपा में बदलते समीकरण के बीच श्रीमती दीक्षित के इस बयान से अखिलेश खेमे की ओर कांग्रेस के झुकाव साफ हो गया है ।
श्रीमती दीक्षित के इस बयान से पहले दोनों ही दलों ने अकेले चुनाव मैदान में उतरने की बात कही थी । श्री मुलायम सिंह यादव कह चुके हैं कि वह कांग्रेस के साथ समझौता नहीं करेंगे और कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने भी अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी ।
इसके बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इस बयान के बाद कि गठबंधन रणनीतिक कवायद है और इसका खुलासा सार्वजनिक मंच से नहीं किया जा सकता ए दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावना एक बार फिर बलवती हो गयी थी। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी कहा था कि सपा में एक बार शांति और स्थिरता आ जाने के बाद ही कोई बातचीत होगी ।
उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च तक सात चरणों में विधानसभा चुनाव की कल घोषणा हो चुकी है । अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा में ऊंट किस करवट बैठता है और उसके बाद कांग्रेस का क्या रुख होता है ।