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श्रद्धालुओं के लिये ट्राली रिक्शा बने सफर का जरिया

महाकुंभनगर, दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महासमागम महाकुंभ में पैदल चल चल थक कर चूर हुए श्रद्धालुओं के लिये ट्राली रिक्शा सफर का जरिया बन रहे हैं। इससे ट्राली रिक्शा चालकों को भी खासी कमाई हो रही है।

दिल्ली से चल कर प्रयागराज पहुंचे हार्डवेयर कारोबारी सुनील कुमार अपनी पत्नी कौशल्या के साथ स्टेशन पर उतरने तक प्रसन्नचित्त थे। स्टेशन के बाहर से उनको सिटी बस मिल जाएगी और वह संगम तक आसानी से पहुंच जाएंगे, लेकिन उनको पुलिस के बेरीकेडिंग के कारण करीब आठ किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। इसके बाद उनके लिये ट्राली रिक्शा ही सफर का जरिया बना। उन्होंने कहा “ हम तो किसी प्रकार चल ले रहे है लेकिन पत्नी के पैदल चलने की तकलीफ असहनीय हो गयी। कहीं कोई बस नहीं दिखी, चारों तरफ बल्लियों से रास्ते को बंद किया गया था। लोगों को ढ़ो रहे पास में खड़े ट्राली रिक्शा वाले से बात करने पर बताया कि 500 रूपए लेगें और संगम पहुंचा देंगे। पत्नी का दर्द के आगे पैसे का मोह खत्म हो गया।”

बरेली से पति मधोक सिंह के साथ संगम स्नान के लिए आयीं पूर्व शिक्षिका राधिका ने कहा कि “ पैदल चल-चल कर हालत खराब हो गयी, उस पर ट्राली रिक्शा वालों की लूट, ऐसा सोचा नहीं था। अब क्या कहना, बस गंगा में पुण्य की डुबकी लाकर घर वापस कुशल से पहुंच जाएं बस। ट्राली वालों पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं है। जैसे लूटते बन रहा है, लूट रहे हैं। लोगों के मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।”

ट्राली रिक्शा चालक बांदा निवासी अनीश अहमद ने बताया कि एक ट्राली में पांच से सात लोगों को बैठाता है। सभी से 100 रूपये लेता है। इसी तरह बिहार के सोखू राम अपने एक सहयोगी रधई के साथ रिक्शा खीचता है। उसने बताया कि सामान अधिक होने पर साधन के अभाव में तीन किलोमीटर दूर प्रयागराज जंक्शन स्टेशन तक छोडने का हजार रूपए तक बात बन जाती है। उधर से आने के लिए भी सवारी मिल जाती है। उसने बताया कि दिनभर का खर्च निकाल कर चार से पांच हजार बच जाता है।