प्रयागराज, श्रावण मास के पहले साेमवार को तीर्थराज प्रयाग शिवमय होने के साथ मंदिरों और घाटों पर चारों तरफ हर-हर महादेव, बोल बम और ओम नम: शिवाय के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं।
प्रयागराज के पौराणिक दशाश्वमेध घाट पर कांवड़ियों का रेला उमड़ने लगा। बड़ी संख्या में कांवड़िए यहां से जल भरकर काशी विश्वनाथ और बाबा वैद्यनाथ धाम के लिए रवाना हो रहे हैं। देवाधिदेव महादेव के प्रिय मास सावन में भगवान को प्रसन्न करने के लिए भक्तों ने हर जतन शुरू कर दिए हैं। श्रावण के पहले सोमवार पर बाबा विश्वनाथ और बाबा बैजनाथ के जलाभिषेक के लिए कांवड़ियों का तांता लग गया है।
दशाश्वमेध घाट से जल भरकर नंगे पांव भक्त दिनभर निकलते रहे। इससे झूंसी शास्त्री पुल से लेकर प्रयागराज-वाराणसी राजमार्ग केसरियामय नजर आने लगा। बोल बम के जयकारों के साथ कांवड़िये आस्था के पथ पर बढ़ते नजर आए। नाचते-गाते कांवड़िया भोले भक्तों की टोलियों के निकलने से क्षेत्र शिवमय हो गया।
यमुना तट स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर में पुरुष और महिला श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए अलग-अलग बैरिकेडिंग कराई गई है। मनकामेश्वर मंदिर में सोमवार की भोर चार बजे मंगला आरती के साथ ही आम भक्तों के लिए पट खोल दिए गए। अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्तों की सुविधा के लिए बैरिकेडिंग कराई गई। पुजारी सोनू पुरी ने बताया कि भोर में पांच बजे से ही दर्शन-पूजन आरंभ शुरू हो गया। तक्षक तीर्थ और दारागंज स्थित नागवासुकि मंदिर समेत अनेक शिवलयों में भी जलाभिषेक और दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की लम्बी कतार देखी गई। इसी तरह बालसन चौराहा स्थित भरद्वाजेश्वर महादेव मंदिर में भी जलाभिषेक कर रहे हैं। अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों की जानकारी ली।
वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि श्रावण के प्रथम सोमवार पर आज शुभ योग-नक्षत्रों का अनूठा संगम बना है। इस बार रेवती और सुकर्मा नक्षत्रों के साथ अनुकूल ग्रहों की युति जलाभिषेक पर्व को खास बनाएगी। संगम में डुबकी लगाने के बाद शहर के शिवालयों में शिवभक्त कामनाओं की पूर्ति के लिए जलाभिषेक कर रहे हैं। दशाश्वमेध घाट से जल भरकर बड़ी संख्या में कांवड़िया बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक के लिए निकल पड़े हैं।