प्रयागराज, संयम, संस्कार एवं संस्कृति के संवाहक माघ मेला के दूसरे स्नान पर्व मकर संक्रांति के त्रिग्रहीय योग के अद्भुत संयोग में आज बारह बजे तक करीब 12 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती में पुण्य की डुबकी लगाई।
अपर माघ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि संगम तट पर मकर संक्रांति पर्व स्नान के लिए श्रद्धालु तड़के से स्नान करना आरंभ कर दिए। आस-पास रहने वाले श्रद्धालुओं का हुजूम भोर से पहुंचने लगा। हर-हर गंगे और हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ त्रिवेणी में सुबह 12 बजे तक करीब 12 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
संक्रांति की पुण्य बेला में त्रिवेणी के पवित्र जल में डुबकी लगाने को हर कोई आतुर दिख रहा है। भक्तिभाव से ओतप्रोत बच्चे,युवा एवं बुजुर्ग मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की गोद आस्था-विश्वास की अनंत बूंदों से भर गई है। ज्ञान की गहरी जडों के रूप में विराजित अक्षय वट से लेकर त्रिवेणी, काली और गंगोली शिवाला मार्ग तक संतों, भक्तों और कल्पवासियों के लाल, पीले, नीले, हरे शिविर सजने के साथ ही मेले की छटा निहारते बन रही है।
श्रद्धलुओं का जत्था तड़के से ठंड की परवाह किये बगैर त्रिवेणी में स्नान करना शुरु कर दिया। आस्था का केंद्र मेला में त्रिवेणी में जाति पति और छुआछूत की दीवार तोड़ एक साथ लोग डुबकी लगा रहे है। मेला क्षेत्र में भोर में कोहरे के असर था लेकिन जैसे जैसे दिन बढ़ता गया शीत लहर तेज़ होती गई। खिले धूप से श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गयी।
श्रद्धालु त्रिवेणी में स्नान संगम कर तट पर बैठे पुराेहितों को श्रद्धा पूर्वक तिल, चावल, तिल के लड्डू के साथ वस्त्र भी देकर परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य एवं खुशहाली स्वस्थ्य उनसे आशीर्वाद ले रहे हैं।
राधा कृष्ण गौरीशंकर संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य सरस्वती प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि मकर संक्रांति पर मकर राशि में सूर्य, शुक्र, शनि का संचरण होने से त्रिग्रहीय योग का अद्भुत संयोग बना है। चित्रा एवं स्वाति नक्षत्र का संचरण पुण्यकारी है।
आचार्य ने बताया कि परंपरा के अनुसार 14 जनवरी को भी श्रद्धालुओं ने स्नान किया। पंचांग के अनुसार शनिवार रात 8.44 बजे सूर्य देव मकर राशि में आएंगे और उदया तिथि मिलने की वजह से रविवार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं। उदया तिथि से समस्त शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। संक्रांति 15 जनवरी की दोपहर 2.27 बजे तक है। उदयातिथि के कारण रविवार को उसका पुण्यकाल दिनभर माना जाएगा।
उन्होंने बताया कि मकर सक्रांति का त्योहार धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक नजरिए से खास होता है। हिंदू धर्म में जहां पर सभी त्योहारों की गणना चंद्रमा की गणना पर तिथियों के अनुसार मनाया जाता है, वहीं मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना के आधार पर मनाया जाता है। सौर कैलंडर के अनुसार हर वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी के साथ ही 15 जनवरी को भी मनाई जाती है।
उन्होंने कहा कि सूर्यदेव की उपासना, उदारता, दान और धर्म परायणता का यह पर्व जीवन में उत्साह और उमंग का संचार बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक पर्व सांस्कृतिक एकता और सद्भाव की मिठास दिलों में घोलता है
उन्होंने बताया कि धर्मग्रंथ सिद्धसंत शिरोमणि में उल्लेख है कि सूर्य के उत्तरायण होने पर छह माह के लिए देवताओं का दिन होता है।। सनातन धर्मावलंबियों के लिए यह पवित्र कालखण्ड है। सूर्य के उत्तरायण होने पर धार्मिक चिंतन का प्रभाव बढता है।इसी कालखण्ड में भीष्म पितामह ने अपना शरीर छोडा था।
माघ मेला पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्र ने बताया कि मकर संक्रांति स्नान पर्व पर देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। उनके स्नान के लिए संगम सहित 16 घाट बनाए गए हैं। मेला क्षेत्र में पीएसी की 10 कंपनियां पहले से ही तैनात थी। मकर संक्रांति के लिए पांच अतिरिक्त कंपनियां भी बुला ली गयी हैं। मेला क्षेत्र में एंटी टेररिस्ट स्कवायड और स्पेशल टास्क फोर्स के कमांडो मुस्तैद किए गए हैं। आस-पास के इलाके में खुफिया तंत्र का जाल बिछाया गया है। डेढ़ सौ से ज्यादा सीसीटीवी के अलावा ड्रोन कैमरों से भी माघ मेला के हर कोने पर संदिग्ध लोगों पर नजर रखी जा रही है।
श्रद्धालुओं के स्नान के लिए तैयार सभी 16 घाटों पर किसी भी स्थिति से समय रहते निबटने के लिए जल पुलिस के गोताखोर मोटरवोट से चक्रमण करते रहेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) और जल पुलिस के गोताखोर 50 मोटरबोट और 100 नाव पर तैनात हैं। मेला और शहर क्षेत्र को सात जोन व 18 सेक्टर में बांटा गया है।
मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं को आस्था की डुबकी लगाने और धक्का-मुक्की से बचने के लिए संगम तट 16 घाट तैयार करवाए हैं। इनकी कुल लंबाई 6000 हजार रनिंग फिट से अधिक है। स्नान घाटों के किनारे गोताखोर की टुकडियां तैनात है। डीप वाटर के लिए भी निशान लगाया गया है। श्रद्धालुओं को उसके आगे बढने से रोका जा रहा है।