संजय दत्त सलाखों से रिहा हो गए हैं। 56 वर्षीय संजय दत्त ने घर लौटने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं आतंकवादी नहीं हूं। मुझे टाडा के तहत आरोपों और साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने भी मुझे आईपीसी की धारा 120-बी और टाडा के तहत आरोपों से बरी कर दिया था। मुझे शस्त्र अधिनियम के तहत सजा दी गई थी। उन्होंने कहा कि मैं मीडिया से अनुरोध करता हूं कि जब भी मेरे खिलाफ लिखें या जिक्र करें तो मेरे नाम के सामने 1993 के विस्फोटों के मामले को नहीं लिखें। उन्होंने कहा, मैं 23 साल से इस क्षण का इंतजार कर रहा हूं.. आजादी के लिए। मैंने सबकुछ किया।
संजय दत्त ने कहा कि मैं आज अपने पिता की कमी महसूस करता हूं। काश, वे जीवित होते और यह दिन देखते। अगर वे जिंदा होते तो सबसे ज्यादा खुश होते। घर लौटने के बाद 56 वर्षीय दत्त सिद्धि विनायक मंदिर गए और अपनी मां नर्गिस दत्त की कब्र पर श्रद्धांजलि देने भी पहुंचे।
उन्होंने कहा कि मैं अपनी धरती मां को प्यार करता हूं। मैं यहां पैदा हुआ हूं। मुझे भारतीय होने पर गर्व है। न्यायमूर्ति पीडी कोडे द्वारा दत्त को विस्फोटों के मामले में साजिश के आरोप से बरी किए जाने के बारे में पूछे जाने पर अभिनेता ने कहा, अदालत ने कहा था कि मैं आतंकवादी नहीं हूं। वह बड़ी बात थी। उच्चतम न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा।
संजय ने अपनी पत्नी मान्यता के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि वह उनकी बेटर हाफ नहीं, बेस्ट हाफ हैं। उन्होंने कहा, जब मैं कमजोर हो रहा था तो वह मेरी ताकत बन रहीं थीं। मुझे लगता है कि उन्होंने मुझसे ज्यादा सहा क्योंकि उन्हें दो बच्चों की परवरिश भी करनी थी।