नई दिल्ली, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने सरकारी नौकरियों में दिव्यांग लोगों को दिए जाने वाले आरक्षण की तरह ही ट्रांसजेंडरों को भी आरक्षण दिए जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा, वे (ट्रांसजेंडरों) भी इंसान हैं और उन्हें भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। जिस तरह दिव्यांगों के लिए कोटा तय है उसी तरह ट्रांसजेंडरों के लिए भी कोटा निश्चित किया जाना चाहिए। दिव्यांग लोगों के लिए तीन फीसदी कोटा तय है।
सरकार संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में ट्रांसजेंडरों व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2016 लेकर आई थी। इस विधेयक का उद्देश्य ट्रांसजेंडरों शब्द की व्याख्या करना और समुदाय के खिलाफ भेदभाव को रोकना है। ऐसी खबरें हैं कि इस विधेयक के मसौदे में सरकार ने ट्रांसजेंडरों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की श्रेणी के तहत लाने का प्रस्ताव दिया था जिसे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने अस्वीकार कर दिया। अब इस विधेयक को संसदीय पैनल के पास भेजा गया है जिसने इस पर जनता से राय मांगी है ताकि ऐसा कानून बनाया जा सके जिससे इस समुदाय के अधिकारों का संरक्षण हो सके। विधेयक में ट्रांसजेंडरों को अपनी लैंगिक पहचान खुद तय करने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। वर्ष 2011 की जनसंख्या के मुताबिक भारत में छह लाख लोग ट्रांसजेंडरों समुदाय से हैं।