अयोध्या, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का उनकी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है और आने वाले दिनों में सर्वाधिक मेडिकल कॉलेज के लिए यूपी का नाम लिया जाएगा।
श्री योगी ने रविवार को यहां नवनिर्मित मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण के दौरान कहा “ पिछले चार वर्षों में हमने 32 मेडिकल कॉलेज या तो बना लिए या बना रहे हैं। कई कॉलेजों में शैक्षिक सत्र प्रारम्भ हो गए हैं , अब वहां पीजी के लिए भी आवेदन करवाने की तैयारी है। इस सत्र में 14 नए मेडिकल कॉलेज केन्द्र सरकार के सहयोग स्वीकृत करा रहे हैं। 69 सालों में प्रदेश में जहां 12 मेडिकल कॉलेज थे। वहीं, चार साल में 32 नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण करवाया गया। ”
उन्होने कहा कि अयोध्या में 200 बेडों का एक अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हो रहा है। अयोध्या मेडिकल कॉलेज में सारे कार्य बेहतर तरीके से हो रहे हैं। आने वाले समय मे अयोध्या वासियों को और बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाने के प्रयास सरकार कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा “ कोरोना की दूसरी लहर में हमारे वॉरियर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स ,जनप्रतिनिधियों ने अच्छा कार्य किया है। किसी भी बीमारी के उपचार के साथ जागरूकता भी बहुत जरूरी है। केवल हम उपचार पर ही फोकस करते तो हमारे परिणाम यूरोप और अमेरिका के जैसे ही आते। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है। अमेरिका या यूरोप का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भारत से बहुत अच्छा है, लेकिन जागरूकता की बजाय उन्होंने उपचार पर ज्यादा फोकस किया, जिससे वे फेल हो गए। भारत की तुलना में अमेरिका की आबादी एक चौथाई है। अमेरिका का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भारत से कई गुना बेहतर होने के बावजूद भारत से डेढ़ गुना अधिक मौतें अमेरिका में हुई हैं। ये दिखाता है कि केवल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से ही हम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते, बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता एक बहुत बड़ा अभियान बन सकता है।”
श्री योगी ने कहा कि विशेषज्ञों ने थर्ड वेव की आशंका व्यक्त की है। इसके लिए सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। कोरोना महामारी ने बहुत कुछ सिखाया है। उसमें बीमारी से बचाव ही सबसे उत्तम उपाय साबित हुआ है। मेडिकल एजुकेशन स्वास्थ्य सुविधा का ही केंद्र नही होता बल्कि उसे हेल्थ अवेयरनेस का भी एक केंद्र बिंदु बनना चाहिए क्योंकि उपचार से महत्वपूर्ण बचाव है जो एक बड़ी मानव ताकत को बीमारी की चपेट में आने से बचा सकता है।
उन्होने कहा कि यहां जो मेडिकल छात्र या सदस्य बैठे हैं,वो जानते होंगे कि 1977 में इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) नाम की एक बीमारी आई थी। उस बीमारी से 1977 से 2017 तक हर वर्ष दो हजार तक मौतें होती थीं। इस बीमारी में 1 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चे चपेट में आते थे। 1977 से 1998 तक तो किसी भी सरकार ने इसका संज्ञान भी नही लिया। 1998 में मैं जब सांसद बना तो इस मुद्दे को मैंने संसद में उठाया आज हमने इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी पर पूरी तरह से काबू पा लिया है। इसमें उपचार और जागरूकता दोनों ही सहायक साबित हुए।