सातवें वेतन आयोग में बदलाव को मिली मंजूरी, कर्मचारी और पेंशनर्स को मिलेगा फायदा
May 4, 2017
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सातवें वेतन आयोग की सैलरी और पेंशन बेनिफिट्स से जुड़ी सिफारिशों में सुधारों को मंजूरी मिल गई है। सरकार के इस फैसले से सिविल और रक्षा दोनों क्षेत्र के करीब 55 लाख पेंशनरों को फायदा होगा। मोदी कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में सुधार के लिए लाए गए प्रपोजल को मंजूरी दे दी है। इससे गवर्नमेंट इम्प्लॉई और पेंशनर को फायदा होगा। इसमें होने वाले सुधारों का फायदा 1 जनवरी 2016 से दिया जाएगा।
7 जी पे-कमीशन की सिफारिशें भी तभी से लागू हुई थीं। कैबिनेट की इस मंजूरी से सालाना पेंशन बिल में ही केंद्र पर 1 लाख 76 हजार 71 करोड़ रुपए का बोझ पड़ने का अनुमान है। इससे पहले जून, 2016 में मंजूर की गई सिफारिशों से सरकार पर 2016-17 में कुल 84,933 करोड़ रुपए (2015-16 के 2 महीने भी शामिल) का बोझ पड़ना था। हालांकि इस मंजूरी के बाद सरकार पर बोझ बढ़कर 1,76,071 करोड़ रुपए हो जाएगा। 29 जून 2016 को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की गई थीं।
उस वक्त कैबिनेट ने 2016 से पहले के पेंशनर्स की पेंशन में रिवीजन के मेथड में बदलाव को मंजूरी दी थी। यह रिवीजन दो अल्टरनेटिव फॉर्म्यूलेशंस को मिलाकर किया जाना था। कैबिनेट ने पेंशनर्स को ज्यादा फायदे वाला ऑप्शन देते हुए कमेटी की सिफारिशों को मंजूर कर लिया। इन सिफारशों में हर पेंशनर्स को जारी किए गए पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) के आधार पर पेंशन में रिवीजन का सुझाव शामिल है। डिफेंस पेंशनर्स को डिसएबिलिटी पेंशन:- कैबिनेट ने छठे पे-कमीशन के आधार पर डिसएबिलिटी पेंशन के लिए परसेंटेज बेस्ड सिस्टम को जारी रखने की मंजूरी दे दी, जिसे 7जी पे-कमीशन ने स्लैब बेस्ड सिस्टम से रिप्लेस करने की सिफारिश दी थी।
डिसएबिलिटी पेंशन का मुद्दा डिफेंस मिनिस्ट्री ने नेशनल एनॉमाली कमेटी के पास भेजा दिया था। मिनिस्ट्री के पास डिफेंस फोर्स से जुड़े लोगों के ढेरों रिप्रजेंटेशन आए थे, जिन्हें उसने इस कमेटी के पास भेजा था। इसमें मांग थी कि उन्हें स्लेब बेस्ड सिस्टम से पेंशन मिले। इन लोगों की मांग को कैबिनेट ने मंजूर कर लिया है। इससे उस पर सालाना करीब 130 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। वित्त सचिव अशोक लवासा की अगुवाई वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने 47 लाख सरकारी कर्मचारियों के भत्तों पर अपनी रिपोर्ट पिछले हफ्ते वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी।
अशोक लवासा समिति का गठन पिछले साल जून में सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू किए जाने के बाद किया गया था। समिति ने 196 भत्तों में से 52 को पूरी तरह समाप्त करने और 36 अन्य को अन्य बड़े भत्तों में समाहित करने का सुझाव दिया है। समिति ने आवास किराया भत्ते (एचआरए) में 8 से 24 प्रतिशत की वृद्धि का सुझाव दिया है। यदि वेतन आयोग की भत्तों पर सिफारिशों को पूरी तरह लागू किया जाता है तो एक अनुमान के अनुसार इससे सरकार पर 29,300 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
लवासा ने कहा था कि सरकार सरकारी कर्मचारियों को संशोधित भत्तों के भुगतान की तारीख पर भी अंतिम फैसला करेगी। केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली मौद्रिक समीक्षा नीति पेश करते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित 8-24 फीसदी हाउस रेंट अलाउंस का असर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (महंगाई) पर पड़ेगा। आरबीआई का आंकलन है कि वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित दरों पर भत्ते को चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से मान्य करने के बाद ज्यादातर राज्य भी अपने कर्मचारियों को इसी दर पर भत्ता देना शुरू कर देंगे। इसके चलते वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर उम्मीद से 1 से 1.5 फीसदी अधिक रह सकती है।