नयी दिल्ली, केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने कहा है कि वह करीब एक साल पहले प्राप्त दो शिकायतों के आधार पर मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के. वी. चौधरी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता क्योंकि ऐसी शिकायतों के निपटारे के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने ऐसे दिशानिर्देश तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार की यह दलील अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली समिति ने 10 जनवरी को केंद्रीय सतर्कता आयोग की एक जांच रिपोर्ट एवं अन्य तथ्यों पर विचार करते हुए आलोक कुमार वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था।
भ्रष्टाचार के कई मामलों का खुलासा कर चुके भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत दी गई अर्जी के जवाब में कार्मिक मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह सूचित किया जाता है कि अभी मुख्य सतर्कता आयुक्त/सतर्कता आयुक्तों के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं अन्य कदाचार की शिकायतों से निपटने के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा मुख्य सतर्कता आयुक्त/सतर्कता आयुक्तों के खिलाफ शिकायतों से निपटने के लिए दिशानिर्देश तय करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
चतुर्वेदी ने 2017 में राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की थी कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच बंद करने की सिफारिश करने को लेकर वह चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करें। आरटीआई अर्जी के जवाब में मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह सूचित किया जाता है कि इस विभाग (कार्मिक मंत्रालय) के पास दो शिकायतें, दिनांक 15 जुलाई 2017 और 18 अगस्त 2017 वाली, हैं जो आपसे प्राप्त हुई हैं। जवाब में कहा गया, ‘‘मुख्य सतर्कता आयुक्त के खिलाफ शिकायतों पर उचित कार्रवाई तभी की जा सकती, जब ऐसे दिशानिर्देश मौजूद हों।’’
चतुर्वेदी ने 2017 में अपनी ओर से राष्ट्रपति सचिवालय को दी गई अर्जी से जुड़े संवाद की प्रतियां कार्मिक मंत्रालय से मांगी थीं। राष्ट्रपति कार्यालय ने अर्जी कार्मिक मंत्रालय के पास भेज दी थी। चतुर्वेदी ने वर्ष 2003 में लागू हुए सीवीसी कानून की धारा-6 का हवाला दिया था, जो राष्ट्रपति को अधिकार देता है कि वह मुख्य सतर्कता आयुक्त के खिलाफ कदाचार के आरोपों का मामला जांच के लिए उच्चतम न्यायालय को भेजे। राष्ट्रपति सचिवालय ने जरूरी कार्रवाई के लिए अर्जी कार्मिक मंत्रालय को भेज दी थी।