नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत हज सब्सिडी खत्म करने के संदर्भ में केंद्र सरकार की ओर से समिति का गठन किए जाने की पृष्ठभूमि में भारतीय हज कमेटी के कुछ सदस्यों ने हज से संबंधित निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग करते हुए कहा है कि वैकल्पिक व्यवस्था तलाशने तक सब्सिडी बदस्तूर जारी रहनी चाहिए।
पिछले दिनों हज कमेटी, जेद्दा स्थित भारतीय वाणिज्य दूत और केंद्र सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में हज कमेटी के सदस्यों ने हज सेवाओं की निविदा प्रक्रिया और सब्सिडी के मुद्दे पर कई मांगें रखीं। सूत्रों के अनुसार, हज कमेटी के उपाध्यक्ष सुलतान अहमद और दो सदस्यों … इनायत कुरैशी तथा मोहम्मद मकसूद अशरफ ने सब्सिडी और निविदा प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता और स्पष्टता की पैरवी की तथा पिछले कुछ वर्षों की निविदाओं के ऑडिट की मांग की।
तृणमूल सांसद सुलतान अहमद ने कहा, हज सब्सिडी खत्म करने की बातें हो रही हैं, लेकिन हमारा सिर्फ यह कहना है कि अगर फिजूलखर्ची रोक दी जाए तो शायद सब्सिडी की जरूरत नहीं पड़े। अहमद ने कहा, फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने के लिए हज की निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता लाई जानी चाहिए। उड़ानों, हाजियों के लिए आवासीय स्थलों और दूसरी सुविधाओं के लिए पारदर्शी ढंग से निविदाएं जारी की जाएं ताकि स्पर्धा बढ़े और खर्च कम हो।
हज कमेटी के सदस्य इनायत कुरैशी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सब्सिडी खत्म होनी है, लेकिन हमारी सरकार से यह मांग है कि इसका कोई विकल्प ढूंढा जाए ताकि हाजियों पर बोझ नहीं पड़े। मोदी सरकार की कोशिशों की वजह से हज कोेटे में करीब 34,500 की बढ़ोतरी हुई और उम्मीद करते हैं कि सब्सिडी वाले मामले पर भी सरकार ध्यान देगी।