भोपाल, मध्यप्रदेश के बहुचर्चित लगभग दो वर्ष पुराने हनीट्रैप मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस मुद्दे को लेकर दिए गए ताजा बयानों से यह प्रकरण फिर से मीडिया की सुर्खियां बनने के साथ गर्माता हुआ नजर आ रहा है।
श्री कमलनाथ ने आज यहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से चर्चा के दौरान इससे जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि हनीट्रैप मामले की सीडी उनके पास ही नहीं, काफी लोगों के पास है और उनमें मीडिया के लोग भी शामिल हैं। हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि वे इस तरह की राजनीति करना पसंद नहीं करते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इस प्रकरण में कोई वर्तमान मंत्री शामिल है या कौन कौन लोग शामिल हैं, श्री कमलनाथ ने कहा कि वे इसमें जाना नहीं चाहते हैं।
हनीट्रैप मामला कल से सत्ता के गलियारों में उस समय से फिर गर्मा गया, जब कल यहां वर्चुअल तरीके से कांग्रेस विधायक दल की बैठक के दौरान अनेक विधायकों ने अपने साथी एवं पूर्व मंत्री उमंग सिंघार के खिलाफ हरियाणा निवासी एक महिला की भोपाल में आत्महत्या के मामले में पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज करने का मामला उठाया। इस दौरान श्री कमलनाथ ने कथित तौर पर कहा कि राज्य की भाजपा सरकार विद्वेष की भावना से इस प्रकरण में कार्रवाई नहीं करें, अन्यथा उनके पास भी हनीट्रैप की ”ओरिजनल सीडी” सुरक्षित है।
श्री कमलनाथ के इस कथित बयान को आज यहां मीडिया में प्रमुखता से छापा गया है और सोशल मीडिया में भी यह कल से स्थान पाए हुए है। इसी संबंध में श्री कमलनाथ से जब आज पत्रकार वार्ता के दौरान सवाल किया गया, तो उन्होंने कथित बयान के संबंध में खंडन नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे तब मुख्यमंत्री थे और पुलिस ने उन्हें सीडी लाकर दी थी, जिसे जांच के लिए भेज दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि असली सीडी तो वही होगी, जो उन्हें पुलिस ने दी थी।
श्री कमलनाथ ने साथ ही कहा कि सरकार श्री उमंग सिंघार वाले प्रकरण में निष्पक्षता से कार्रवाई करे। इस मामले में जब संबंधित महिला के परिजनों ने श्री सिंघार के खिलाफ बयान नहीं दिए हैं, तो उनके खिलाफ मामला क्यों दर्ज कर लिया गया। सरकार चाहे तो इस मामले में न्यायिक जांच करा ले। लेकिन कार्रवाई निष्पक्ष होना चाहिए।
दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद श्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, इसी बीच वर्ष 2019 के मध्य में इंदौर में नगर निगम के एक अधिकारी ने शिकायत दर्ज करायी थी कि कुछ महिलाएं उनकी आपत्तिजनक वीडियो बनाकर उनसे रुपयों की मांग कर रही हैं। इसके बाद इंदौर पुलिस सक्रिय हुयी और इंदौर तथा भोपाल से तीन महिलाओं समेत कम से कम पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले की जांच के दौरान पता चला कि इस मामले में हाईप्रोफाइल महिलाएं भी लिप्त हैं और उन्होंने सत्ता से जुड़े नेताओं, अधिकारियों और अन्य प्रभावशाली लोगों को फसाकर आपत्तिजनक वीडियो बना लिए हैं। इसकी दम पर ये महिलाएं अपने साथियों के साथ मिलकर बड़े बड़े सरकारी काम करवाती थीं या फिर उनसे बड़ी रकम वसूलती थीं।
परत दर परत इस मामले के खुलने के बाद कई सफेदपोश लोगों के नाम भी सामने आए और तत्कालीन सरकार ने जांच के विशेष जांच दल (एसआईटी) भी गठित किए। लेकिन अब तक कोई सफेदपोश व्यक्ति न तो गिरफ्तार हुआ और न ही किसी ऐसे व्यक्ति से पूछताछ हुयी। हालाकि महिलाएं और संबंधित आरोपी अभी भी जेल में हैं।