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हिमपात से क्रिसमस पर पर्यटन को लगे पंख, सेब बागवानी को मिली संजीवनी

शिमला,  हिमाचल प्रदेश में ताजे हिमपात से जहां पर्यटन को पंख लग गए हैं। वहीं बागवानी के लिए हिमपात संजीवनी साबित हुआ है। शिमला समेत अन्य पर्यटन स्थलों में पहुंचे सैलानी बर्फ के फाहों के बीच झूम उठे। बर्फ की चाह में क्रिसमस पर हिमाचल सैलानियों से पैक रहेगा।

पर्यटकों की सुविधा के लिए 24 घंटे दुकानें खुली रहेंगी। हिमपात की सूचना मिलते ही शिमला, मनाली समेत कई पर्यटन स्थलों में ऑक्यूपेंसी बढ़ गई है। इससे नववर्ष के आगमन तक हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल आगामी दिनों में भी पर्यटकों से गुलजार रहेंगे। मौसम के बदले मिजाज से पर्यटन कारोबारी उत्साहित हैं।

मौसम के करवट लेते ही सोमवार को शिमला समेत कई इलाकों में हिमपात शुरू होते ही सैलानी हिमाचल प्रदेश का रुख करने लगे हैं। इससे होटलों में ऑक्यूपेंसी बढ़ गई है। सोमवार को शिमला में 70, मनाली में 80, धर्मशाला में 60 और कसौली में होटलों में 80 फीसदी ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई और यह लगातार बढ़ती जा रही थी। इसके बाद मंगलवार से सैलानियों की आमद बढ़ने की उम्मीद है। शिमला, कुफरी, डलहौजी, रोहतांग आदि में बर्फ गिरने के बाद क्रिसमस पर बड़ी संख्या में सैलानी हिमाचल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में पहुंच सकते हैं।

हिमाचल होटल एंड रेस्टोरेंट फेडरेशन के अध्यक्ष गजेंद्र ठाकुर का कहना है कि राज्य के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों में बड़ी संख्या में पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि 22 दिसंबर को रविवार होने के कारण बड़ी संख्या में सैलानी वापस भी लौट गए। इसके बावजूद ऑक्यूपेंसी बढ़ रही है। प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में नववर्ष के उत्सव और पर्यटकों की भीड़ के दृष्टिगत सभी दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को 23 दिसंबर से पांच जनवरी तक 24 घंटे खुले रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय हिमाचल प्रदेश दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम 1969 के तहत जनहित में लिया गया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।

प्रदेश में बेशक सोमवार को मौसम बदला। पर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, सोलन, मंडी, ऊना, कुल्लू और सिरमौर में किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। बिलासपुर, मंडी, चंबा, कुल्लू, सोलन, कांगड़ा में कहीं हल्की बारिश हुई तो कहीं बूंदाबांदी, जो गेहूं के लिए पर्याप्त नहीं है।
ऊपरी इलाकों में हुए हिमपात से सेब बागवानी वाले क्षेत्रों में चिलिंग ऑवर्स की जरूरत पूरी हो सकती है, वहीं अन्य फलदार फसलों को भी इससे लाभ होगा।

डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. एसपी भारद्वाज ने कहा कि चिलिंग ऑवर्स के मूल्यांकन के लिए औसत तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए। पांच से छह दिनों तक औसत तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से कम रहना जरूरी होता है। अगर ऐसा न हो तो यह चिलिंग ऑवर्स की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है। उम्मीद है कि आगामी दिनों में भी बारिश और हिमपात होगा तो इससे खेती और बागवानी के लिए राहत मिलेगी।

संयुक्त किसान मंच के संयोजक एवं बागवान हरीश चौहान ने कहा कि बारिश और हिमपात खेती-बागवानी के लिए अच्छा है।