इटावा, कुख्यात डाकुओं के आशियाने के रूप में विख्यात चंबल घाटी की हवा प्रकृति के सफाई कर्मी कहे जाने वाले हिमालयी गिद्धों रास आ रही है तभी तो एक दर्जन से अधिक हिमालयी गिद्ध भ्रमणशील देखे जा रहे है । इटावा सफारी पार्क में हिमालयी गिद्धों का झुंड दिखाई देने से कौतूहल का विषय बना हुआ है।
चंबल से जुड़े इटावा में विलुप्त प्राय: हिमालयन गिद्ध अपना बसेरा बना रहे है। ढाई दशक के बाद इटावा में बड़ी तादात में हिमालयन गिद्ध एक साथ नजर आए है। इटावा सफारी पार्क में इन गिद्धों का झुंड पहली बार लगातार दो दिन तक देखा गया है। एक दर्जन की संख्या में गिद्धों का झुंड देख इटावा सफारी पार्क के कर्मचारी ने अपने मोबाइल में तस्वीर कैद कर ली। एक ही स्थान पर लगातार दो दिन तक यह विलुप्त प्राय: प्रजाति के गिद्ध नजर आने से ऐसा माना जा रहा है कि इतनी बड़ी तादात में इनका होना कही न कही प्राकृतिक दृष्टि से बहुत अच्छी खबर है। यह भी कह सकते है कि इन गिद्धों को सफारी की हवा रास आ रही हो।
इटावा लायन सफारी पार्क के अंदरूनी हिस्से में बीते दो दिन से एक विशालकाय पेड़ पर संकटग्रस्त हिमायलन गिद्ध करीब एक दर्जन की तादात में झुंड के साथ बैठे दिखाई दिए है। इन गिद्धों के झुंड को सफारी पार्क के कर्मचारी ब्रीडर कम स्वीपर रोहित कुमार देखकर अपने मोबाइल फोन से इनकी तस्वीर कैमरे में कैद कर ली। रोहित कुमार ने ऐसा दावा किया कि यह हिमालयन गिद्ध उसने पहली बार इतनी तादात में दो दिन लगातार इसी सफारी पार्क के अंदर इसी स्थान पर देखे है। उसे इस बात का यकीन नही हुआ क्योंकि पेड़ अधिक ऊंचा है। गौर से देखने पर समझ आया कि यह हिमालयन गिद्ध है। उसने पहली बार सफारी पार्क में एक घायल गिद्ध को देखा था। जब एक हिमालयन गिद्ध को उपचार के लिए लाया गया था। इस प्रकार से गिद्ध की मुझे पहचान हुई।
कभी चंबल घाटी से जुड़े इटावा जिले मे बड़ी तादात में इनकी मौजूदगी पाई जाती थी। लेकिन ढाई दशक से इन गिद्धों की संख्या में तेजी से गिरावट देखी गई। जिसके बाद से यह विलुप्त प्रजाति में शामिल किए गए। पिछले सात, आठ वर्ष में इटावा जिले के विभिन्न हिस्सों दो, एक की संख्या में यह गिद्ध दिखाई दिए है लेकिन उसके बाद से यह गिद्ध दिखाई नही दिए थे।
कुख्यात डकैतों की कभी मुफीद शरणस्थली रही चंबल में ढाई दशक पूर्व बड़ी तादात में गिद्ध पाये जाते थे लेकिन समय बदला आवो-हवा बदली जंगलात और बीहड़ सिमटते गए और इटावा से गिद्ध अपने आप ही किन्हीं कारणों से विलुप्त होते चले गए। लेकिन एक बार फिर से चंबल से जुड़े इटावा में गिद्धों की इतनी संख्या में लगातार दो दिन तक दिखाई देना, इन गिद्धों की वापसी की उम्मीद दिखाई देने लगी है।
पर्यावर्णीय संस्था सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन संस्था के महासचिव डॉ. राजीव चौहान का दावा है कि पिछले एक दशक में जिले में हिमालयन गिद्ध की मौजूदगी देखी गई हैं। यह परिवर्तन निश्चित तौर पर कही ना कही इटावा और चंबल के लिए प्रसन्नता की ही बात मानी जायेगी। क्योंकि हिमायलय गिद्ध का यह इलाका कभी आशियाना नही रहा है। फिर यहां पर उसका पहुंचना यह बता रहा है कि हिमालयन गिद्ध यहां पर अपना बसेरा बना रहे है। यह पर्यावरण के लिहाज से सफाई कर्मी के रूप में प्रचालित है। उन्होंने बताया कि इन गिद्धों के उपर संकट 1990 के बाद से शुरू हुआ माना जाता है।
चंबल में इससे पहले 2003 तक गिद्दों की तीन प्रजातियों को देखा जाता रहा है, इनमें लांगबिल्ड वल्चर, वाइटबैक्ड वल्चर, किंगवल्चर है, जो बड़ी तेजी से विलुप्त हुए जब कि इजफ्सियन वल्चर लगातार देखे जाते रहे है, इनके उपर किसी तरह का प्रभाव नजर नहीं आया।
गिद्ध के संरक्षण की दिशा में काम कर रही वर्ल्ड कंजर्वेशन यूनियन की पहल के बाद वर्ष 2002 में इसे वन्य जीव अधिनियम के तहत इसके शिकार को प्रतिबंधित करते हुए इसे शेड्यूल वन का दर्जा दिया गया था। अस्सी के दशक में एशिया के देशों में गिद्धों की सर्वाधिक संख्या भारत में ही थी। शोध के मुताबिक भारत, नेपाल और पाकिस्तान में गिद्धों की संख्या सिमट कर महज तीन हजार रह गई है। जबकि अस्सी के दशक में गिद्धों की संख्या साढ़े आठ करोड़ थी। जानकार बताते हैं कि जिस तेजी के साथ वल्चर गायब हुआ ऐसा अभी तक कोई जीव गायब नहीं हुआ। ताज्जुब यह है कि पिछले एक दशक के दौरान ही गिद्ध की संख्या में अप्रत्याशित रूप से 99 फीसदी की गिरावट आई है।
इटावा जिले में पिछले सात आठ साल में किसी न किसी एक्सीडेंट मामले में अन्य प्रजाति के गिद्ध देखे गए कोई घायल अवस्था में मिला तो कोई ट्रेन की चपेट में घायल हुआ गिद्ध देखे गए। लेकिन एक झुंड में हिमालयन गिद्धों की मौजूदगी यह पर्यावरणीय लिहाज से बहुत ही अच्छी खबर है।
इटावा के जिला प्रभागीय वन अधिकारी अतुल कांत शुक्ला ऐसा बताते हैं कि इटावा में हिमालयन गिद्ध की मौजूदगी लायन सफारी पार्क क्षेत्र में होने की जानकारी सामने आई है। सफारी पार्क के कर्मी के द्वारा इनकी मौजूदगी की पुष्टि की गई है। लंबे समय से हिमालयी गिद्ध इटावा और चंबल इलाके में भ्रमण करता हुआ देखा गया है। यह पर्यावरण के लिहाज से इटावा की धरती के लिए अच्छी खबर है। इसके बावजूद भी अगर कोई जानकारी विशेषज्ञों की ओर से दी जाएगी, तो उसको लेकर के हिमालय गिद्ध की मौजूदगी को लेकर के विशेषज्ञों की राय सुमारी करने के बाद निर्णय लिया जायेगा।