तकनीक कितनी भी आगे क्यों न बढ़ जाए, हाथ से बनी चीज का महत्व कभी कम नहीं होगा। यही हाल टेक्सटाइल्स का भी है। आज भी हैंडलूम साड़ीज और ड्रेस मैटीरियल का क्रेज बहुत ज्यादा है। हैंडलूम मैटीरियल को न केवल क्लासी, बल्कि एलीगेंट और स्टेटस सिंबल भी माना जाता है। देर से मिली पहचान एलीट क्लास में हैंडलूम साड़ीज और ड्रेस मैटीरियल को हमेशा ही तवज्जो दी गई है, लेकिन इन्हें बनाने वाले बुनकरों को इसका श्रेय बहुत बाद में मिलना शुरू हुआ। कुछ साल पहले तक भी बिचौलिया कंपनी को ही इस खूबसूरत कारीगरी का फायदा उठाते देखा जाता था। बाद में सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की पहल पर बुनकरों को डायरेक्ट एक्जीबिशन आदि में बुलाकर सीधा मुनाफा कमाने का अवसर दिया जाने लगा। मिल जाती है विविधता -हैंडलूम मैटीरियल के लिए शोरूम्स तो हैं ही, लेकिन अगर देश के कोने-कोने के हैंडलूम मैटीरियल का आनंद लेना हो, तो शहर में लगने वाले हैंडलूम एक्सपो या फिर एक्जिबीशंस का इंतजार करें। यहां पर बुनकर डायरेक्ट आते हैं, इसलिए शोरूम की अपेक्षा मैटीरियल सस्ता मिलता है और विविधता की कोई सीमा नहीं रहती। दिखते हैं सबसे जुदा-अगर आप किसी पार्टी में सबसे अलग दिखना दिखना चाहते हों, तो हैंडलूम की साड़ी से बेहतर कुछ नहीं हो सकता।
सादगी पसंद लोगों के साथ साथ स्टाइलिश साड़ी पसंद करने वाली महिलाओं तक हर किसी के टेस्ट की साड़ी हैंडलूम में उपलब्ध होती है। फैब्रिक अलग-काम अलग-हैंडलूम साड़ीज कॉटन, सिल्क, सिल्क-कॉटन आदि मैटीरियल में मिल जाती है। साथ ही इन पर किए गए वर्क व जहां यह वर्क किया जाता है, वहां के नाम से यह साडियां मशहूर होती हैं। जैसे कांचीपुरम में पाए जाने वाले सिल्क की बनी साड़ी कांचीपुरम कहलाती है।
मध्यप्रदेश की चंदेरी और माहेश्वरी आदि जगहों की साडियां भी इसी नाम से जानी जाती हैं। हैंडलूम बाजार ने भी अपने महत्व को कायम रखने के लिए खासी मेहनत जारी रखी है। इसी का नतीजा है कि आज का हैंडलूम डिजाइनर हो चुका है। पहले की तरह इसमें प्रिंटिंग डिफेक्ट्स नहीं मिलेंगे। यही नहीं अब हैंडलूम की साडियों और ड्रेस मैटीरियल के कलर्स में भी एक्सपेरिमेंट्स हो रहे हैं। साडियों के लिए मशहूर शहर-ए-बनारस के बुनकरों की दुर्दशा कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले से ही विदेशी आयात और कारीगरों की कमी से मुफलिसी की जिंदगी गुजर बसर कर रहे इन बुनकरों के लिए इस बार सूरत की टेक्सटाइल मिलें कहर बन कर टूटी हैं। बनारसी साडियों के मुकाबले सस्ते दर पर बिक रही इन साडियों ने यहां के बुनकरों की कमर तोड़ कर रख दी है। इस बार बुनकरों के लिए चुनौती विदेशी ऑर्डर न मिलने से नहीं बल्कि अपने ही देश की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों की तरफ से मिल रही है। दरअसल गुजरात के सूरत टेक्सटाइल मिलों से निकालने वाली कम कीमत की डिजाइनर साडियों ने बनारसी हैंडलूम की महंगी साडियों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।