अक्षय तृतीया पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी

प्रयागराज, अक्षय तृतीया के पुण्य अवसर पर बुधवार भोर से ही श्रद्धालुओं का गंगा, यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है। भोर से ही त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का स्नान शुरू हो गया। श्रद्धालु स्नान के बाद घी का दिया, पुष्प और दुग्ध अर्पित किया। पूजा-पाठ कर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख और समृद्धि की प्रार्थना किया। स्नान और पूजा-पाठ के बाद श्रद्धालु बड़े हनुमान मंदिर और अन्य मंदिरों में दर्शन किया। गंगा तट पर लोग वस्त्र, अन्न और जल का दान कर रहे हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किया गया पुण्य कभी नष्ट नहीं होता।
श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन किए गए शुभ कार्य सफल होते हैं। संगम स्नान से शरीर और आत्मा दोनों पवित्र होते हैं। दान या धार्मिक अनुष्ठान जैसे कार्य जीवन को सकारात्मक दिशा देते हैं।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा. आत्माराम गौतम ने बताया कि इस दिन का धार्मिक महत्व कई कारणों से है। इस दिन चारधाम यात्रा का शुभारंभ होता है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट भी खोले जाते हैं। जिस प्रकार शास्त्रों में वेद, तीर्थों में गंगा, युगों में सतयुग को श्रेष्ठ माना गया है, उसी प्रकार पौराणिक ग्रंथों में सबसे श्रेष्ठ वैशाख मास को माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन हुई थी त्रेता युग की शुरूआत है। ये महीना कल्पवृक्ष के समान फलदायी माना गया है और भगवान भोलेनाथ व विष्णु जी को प्रसन्न करने वाला है। वैशाख में गर्मी अपने चरम पर होती है। इसलिए इसमें जल दान का विशेष महत्व है।

उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के पर्व का विशेष महत्व होता है। अक्षय तृतीया तिथि को अबूझ मूहूूर्त माना गया है अर्थात इस दिन बिना मुहूर्त के विचार किए कोई भी शुभ काम प्रारंभ किया जा सकता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि, आश्विन मास की दशमी तिथि, वैशाख मास की तृतीया तिथि और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है लेकिन पहली तीन तिथियां पूर्ण और चौथी को आधा ही माना जाता है। इसलिए साल की साढ़े तीन तिथियां सबसे अधिक शुभ मानी मानी जाती है। उन्होंने कहा कि वैशाख का महीना धर्म-कर्म की दृष्टि से भी बहुत खास है। इस महीने में किया गया जल दान अक्षय पुण्य देता है।

आचार्य डा. आत्माराम गौतम ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन खासतौर पर सोने के आभूषण खरीदने की मान्यता है। ऐसे माना जाता है अगर अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदा जाए तो व्यक्ति के जीवन पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। इस बार ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन कई वर्षों पर गजकेसरी और मालव्य राजयोग का निर्माण हो रहा है। गजकेसरी राजयोग चंद्रमा और गुरु की युति से जबकि मालव्य राजयोग शुक्र के अपनी उच्च राशि में प्रवेश करने पर बनता है। 30 अप्रैल को ये दोनों ही राजयोग बनेगा। ज्योतिष में इन दोनों राजयोग को बहुत ही शुभ माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में अगर यह राजयोग होता है उसके जीवन में कभी भी धन की कोई कमी नहीं रहती है। व्यक्ति हमेशा अपने जीवन में सुखों की प्राप्ति करता है।

जल पुलिस प्रभारी जनार्दन प्रसाद साहनी ने बताया कि अक्षय तृतीया के कारण भोर से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। उन्होंने बताया कि लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपने आराध्य को ध्यान कर पूजा पाठ किया। स्नान के बाद श्रद्धालु लेटे हनुमान मंदिर जाकर दर्शन एवं पूजा-पाठ किया। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के स्नान के दौरान आसपास के स्नान घाट पर गोताखोर चक्रमण करते रहे। संगम के जल में भी जवान खड़े थे। श्रद्धालुओं को बेरीकेडिंग पार नहीं करने के लिए लगातार हिदायत देते रहे। किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं घटी।

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