लखनऊ, उत्तरप्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्री अब जीवर भर सरकारी बंगलों में रह सकेंगे. यूपी विधानसभा ने आज एक बिल पारित करके इसे कानूनी जामा पहना दिया. राज्य की विधानसभा ने उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण संशोधन अधिनियम 2016 को मंजूरी दे दी. कोर्ट के फैसले से जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले पर कोर्ट के फैसले की तलवार लटक गई थी, उसमें मुलायम सिंह यादव, नारायण दत्त तिवारी, राम नरेश यादव, कल्याण सिंह, मायावती और राजनाथ सिंह भी शामिल हैं. यूपी में फिलहाल सात पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास सरकारी बंगले हैं. वीर बहादुर सिंह को मिला सरकारी बंगला उनके निधन के बाद ”वीर बहादुर सिंह जनसेवा संस्थान” के नाम एलॉट कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए राज्य सरकार को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिना किसी विधायी प्रावधान के ताउम्र सरकारी बंगले दे दिए गए हैं. इस पर सरकार ने इसके लिये एक बिल ही पास कर दिया. बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को जीवन भर के लिए सरकारी आवास आवंटित कर सकती है. उन्हें इसके लिए निर्धारित किराया देना होगा. इसी बिल के जरिए अखिलेश सरकार ने चुनाव के पहले मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों का वेतन भी बढ़ा दिया है.
नए कानून के तहत अब मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री को 40 हजार रुपये प्रति महीने का वेतन मिलेगा, जो पहले सिर्फ 12 हजार था. अब उनकी भरपाई भी 500 रुपये प्रति महीने की बजाए 10 हजार रुपये कर दी गई है. इस अधिनियम को पास करके राज्य सरकार ने कोशिश की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राहत पाने का रास्ता निकाला जाए.
विधानसभा में सभी दलों के विधायक इस मुद्दे पर एक राय थे कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को किसी केंद्रीय स्थान पर इतना बड़ा घर जरूर मिलना चाहिए, जहां वे सामाजिक, राजनीतिक लोगों से मिल सकें और जनता के काम कर सकें. पीडब्लूडी मंत्री शिवपाल यादव कहते हैं ”जो इतने बड़े राज्य का मुख्यमंत्री रहा हो, उसका सामाजिक-राजनीतिक दायरा बहुत बड़ा होता है. और अगर मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद भी वह राजनीति में सक्रिय है तो उससे बहुत लोग मिलने आते हैं. ऐसे में उसे एक बड़े घर की जरूरत होती है. ”