अखिलेश यादव का बड़ा हमला, जनहित के मुददों पर घेरा, योगी सरकार को
December 3, 2017
लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नगर निकाय चुनावों के तुरंत बाद योगी सरकार पर बड़ा हमला किया है।अखिलेश यादव ने अब जनहित के मुददों पर योगी सरकार को घेरना शुरू किया है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि नगर निकाय चुनावों के मतदान के ठीक अगले दिन ही विद्युत दरों में वृद्धि भाजपा सरकार की राजनैतिक बेईमानी और अनैतिक आचरण को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि किसानों विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत दरों में की गयी बेतहाशा वृद्धि भाजपा सरकार की किसानों के प्रति नफरत को दर्शाता है। विद्युतदरों में की गयी जनविरोधी वृद्धि तत्काल वापस ली जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी सरकार के समय विद्युत उत्पादन का बुनियादी ढांचा विकसित कर 8500 मेगावाट से 16500 मेगावाट उत्पादन की व्यवस्था की गयी थी, उसे भाजपा सरकार ने बर्बाद कर दिया है। ग्रामीण अनमीटर्ड बिजली उपभोक्ताओं की जो बिजली दरें तय हुयी हैं, उन्हें तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो स्पष्ट है कि गांव की जनता को ठगा गया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि ग्रामीण मीटर्ड उपभोक्ता पहले 50 रूपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज व 2.20 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल चुकाते थे जबकि अब उन्हें 80 रूपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज और उसे 5.50 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिल का भुगतान करना पडे़गा।
अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का हमेशा से दोहरा चरित्र रहा है। इनके कथनी-करनी में भारी विरोधाभास है। हालिया निकाय चुनाव में मतदान के पूर्व बिजली-पानी सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा ने मतदान के तत्काल बाद वादा खिलाफी करके जनता को धोखा दिया है।
अखिलेश अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी किसानों के साथ है और उनके ऊपर भाजपा सरकार के अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी। भाजपा बदले की संकीर्ण राजनीति करती है इसलिये भाजपा सरकार गरीबों और किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। भाजपा यह बात जानती है कि किसान उनके बहकावे में कभी नही आ सकते है इसलिए किसानों को दण्ड़ित किया जा रहा हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार को बिजली विभाग को घाटे से उबारने के लिये विभागीय भ्रष्टाचार विद्युत चोरी, लाईन लास कम करने आदि का विकल्प ढूंढ़ना चाहिये न कि गरीबों और किसानों की आर्थिक रूप से बर्बाद करने और मंहगाई से उनकी कमर तोड़ने का काम करना चाहिए।